जापानी इंसेफेलाइटिस, एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम, दिमागी बुखार या चमकी बुखार कह लीजिए |
जापानी इंसेफेलाइटिस, एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम, दिमागी बुखार या चमकी बुखार कह लीजिए. इसकी वजह से पूर्वी यूपी और बिहार हर साल चर्चा में आता है. लेकिन अब तक ये साफ नहीं हो सका है कि इसकी असल वजह क्या है. एक्सपर्ट्स के मुताबिक कुपोषण, गंदगी, तेज उमस वाली गर्मी और कमजोर इम्यूनिटी में इसका शिकार होने की ज्यादा आशंका होती है.
इस बीमारी से पीड़ित बच्चों को ऑक्सीजन की सख्त जरूरत होती है। पूर्वांचल में इस जानलेवा बीमारी से हर साल कई बच्चों की मौत हो जाती है। इस बीमारी की पहचान और बचाव के ये उपाय हैं :
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ये है पहचान :
1. इन्सेफेलाइटिस यानी जापानी बुखार एक प्रकार का दिमागी बुखार है जो वाइरल संक्रमण की वजह से होता है।
2. यह एक खास किस्म के वायरस से होता है जो मच्छर या सूअर के द्वारा फैलते हैं या गंदगी से भी यह उत्पन्न हो सकता है।
3. एक बार यह हमारे शरीर के संपर्क आता है, फिर यह सीधा हमारे दिमाग की ओर चला जाता है।
4. दिमाग में जाते ही यह हमारे सोचने, समझने, देखने और सुनने की क्षमता को प्रभावित करता है।
5. यह वायरस सिर्फ छूने से नहीं फैलता है।
6. ज्यादातर 1 से 14 साल के बच्चे एवं 65 वर्ष से ऊपर के लोग इसकी चपेट में आते हैं।
7. इसका प्रकोप साल के तीन महीने अगस्त, सितंबर और अक्टूबर में अधिक रहता है।
इन्सेफेलाइटिस के लक्षण :
1.इसके शुरुआती लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, गरदन में अकड़, कमजोरी और उल्टी होना हैं।
2.समय के साथ सिरदर्द में बढ़ोतरी होने लगती है और हमेशा सुस्ती छाई रहती है।
3.भूख कम लगना, तेज बुखार, बहुत संवेदनशील होना। कुछ समय के बाद भ्रम का शिकार होना फिर पागलपन के दौरे आना, लकवा मारना आदि ।
4.छोटे बच्चों में ज्यादा देर तक रोना, भूख की कमी, बुखार और उल्टी होना जैसे लक्षण दिखने लगते हैं।
इन्सेफेलाइटिस से बचाव के तरीके :
1.समय से टीकाकरण कराएं साफ-सफाई से रहें।
2.गंदे पानी के संपर्क में आने से बचें।
3.मच्छरों से बचाव घरों के आस पास पानी न जमा होने दें।
4.बारिश के मौसम में बच्चों को बेहतर खान-पान दें।