मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के साथ ही रोज़ नए-नए फ़ैसले लिए जा रहे हैं. इसकी वजह से वो लगातार विपक्षी पार्टी भाजपा के निशाने पर आ रही है.
ऐसे ही एक नए फ़ैसले के तहत राज्य सरकार ने एक आदेश जारी कर प्रदेश में मीसाबंदियों (आपातकाल के दौरान जेल में बंद लोगों) की पेंशन (सम्मान निधि) पर रोक लगा दी है.
सरकार का कहना है कि इसका मक़सद पेंशन को ज़्यादा पारदर्शी बनाया जाना है. राज्य सरकार का ये भी कहना है कि इसके वेरिफ़िकेशन की ज़रूरत है.
भाजपा इस पेंशन को बंद किए जाने का विरोध कर रही है. विभाग से जुड़े एक अधिकारी के अनुसार, मध्य प्रदेश में इस वक़्त लगभग 2,600 मीसाबंदी है जिन्हें हर महीने 25,000 रुपये पेंशन दी जाती है.
सरकार इसकी जगह पर एक नया बिल, ‘मध्य प्रदेश लोकतंत्र सेनानी सम्मान (निरसन) विधेयक-2019’ लाना चाहती है.
कांग्रेस का आरोप है कि प्रदेश की पूर्व भाजपा सरकार ने अपने ख़ास लोगों को फ़ायदा पहुंचाने के लिये यह योजना शुरू की थी और इस पर करोड़ों रुपये खर्च किये जा रहे थे. पार्टी का कहना है कि इस पेंशन पर सालाना करीब 75 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे थे और इसलिए इसे दोबारा देखना होगा.
विधि मंत्री पीसी शर्मा का आरोप है कि कई गुंडे-बदमाश लोग भी पेंशन का फ़ायदा ले रहे थे इसलिये इसे बदलने की ज़रूरत है.
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी इस पेंशन के हक़दार रहे हैं. 1975 में आपातकाल के दौरान शिवराज सिंह चौहान 16 साल के थे जब पुलिस ने उन्हें एक प्रदर्शन के दौरान सीहोर के चौक बाज़ार से गिरफ्तार किया. उन्हें चार महीने बाद छोड़ा गया था.
नियम के मुताबिक, (जिसे ख़ुद शिवराज सिंह चौहान ने साल 2016 में बदला था) जिसने भी आपातकाल के दौरान जेल में एक महीने से ज़्यादा वक़्त गुज़ारा उसे 25,000 रुपये दिए जा रहे थे.
शिवराज सिंह चौहान ने जब इसे साल 2008 में शुरू किया तब जिन्होंने आपातकाल के दौरान जेल में छह महीने बिताए उन्हें 6,000 रुपये प्रतिमाह और जिन्होंने 3-6 महीने बिताए उन्हें 3,000 रुपये दिए जाते थे. बाद में यह राशि बढ़ाकर क्रमश: 15,000 और 10,000 रुपये कर दी गई.
इसके बाद में साल 2016 में सरकार ने बदलाव करते हुए आपातकाल के दौरान एक महीने से ज़्यादा वक़्त भी जेल में बिताने वाले लोगों के लिए 25,000 रुपये महीने का प्रावधान कर दिया.
कांग्रेस के नेताओं का आरोप है कि यह पूरी तरह से आरएसएस के लोगों को फायदा पहुंचाने के लिये बनायी गई स्कीम थी और यही वजह है कि कांग्रेस ने सरकार बनाते हुए इस स्कीम को शुरुआत में ही रोक दिया है.
मध्य प्रदेश में स्वतंत्रता सेनानियों को हर महीने 4,000 रुपये मिलते हैं.
काग्रेंस के प्रवक्ता भूपेंद्र गुप्ता कहते हैं, “मीसाबंदियों में ज़्यादातर लोग सरकार से माफ़ी मांगकर जेल से छूटे थे, इसका मतलब यह है कि उन्होंने अपराध स्वीकार किया था.”
भूपेंद्र गुप्ता के मुताबिक, “जितने मीसाबंदी हैं, उनमें से अधिकांश लोग सरकार से उस वक़्त 25,000 हजार रुपये का एक मुश्त पैसा प्राप्त कर चुके है, जो आज की क़ीमत से 25 लाख रुपये होता है. यह उन्हें 4% कर्ज़ के तौर पर मिला था, जिसे अधिकांश लोगों ने वापस नही किया.”
भूपेंद्र यह दावा भी करते हैं कि बहुत से पेंशनधारी ऐसे हैं जिनके जेल रिकॉर्ड और उम्र की जांच होनी चाहिए. उनका आरोप है कि इस पेंशन को कई ऐसे लोग भी ले रहे हैं जिनकी आपातकाल के दौरान उम्र सिर्फ़ 10-11 साल थी.
वहीं, भाजपा के वरिष्ठ नेता तपन भौमिक ने मामले को अदालत में ले जाने की बात कर रहे हैं.
उन्होंने कहा, “अदालत से हमें इंसाफ़ मिलेगा. दूसरे प्रदेशों में इस तरह के मामलों में फ़ैसला हमारे हक़ में आया है.”
मध्यप्रदेश में उन भाजपा नेताओं की लिस्ट लंबी है जिन्हें इस पेंशन का फ़ायदा मिल रहा है. पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर, केंद्रीय मंत्री थावरचंद गेहलोत, पूर्व मंत्री शरद जैन, रामकृष्ण कुसमारिया और अजय बिश्नोई भी इसके लाभार्थियों में शामिल हैं.
Sources :- BBC.com