कोरोना वायरस का संक्रमण रोकने के लिए सरकार अब जर्मनी, इजरायल और दक्षिण कोरिया में अपनाई जा रही
कोरोना वायरस का संक्रमण रोकने के लिए सरकार अब जर्मनी, इजरायल और दक्षिण कोरिया में अपनाई जा रही तकनीक रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट और पूल टेस्टिंग का सहारा लेने जा रही है। उत्तर प्रदेश में मंगलवार से पूल टेस्टिंग की शुरुआत हुई है।
- चेयरमैन प्रतिनिधि ने कराई नगर पंचायत परतावल में स्थित कर्बला मैदान की साफ़ सफ़ाई
- केले की फसल नष्ट कर दिया जान से मारने की धमकी
- नवागत अधिशासी अधिकारी अवनीश यादव ने किया कार्यभार ग्रहण
- अवैध ढंग से पोखरी में खनन कर रही जेसीबी को पुलिस ने पकड़ा
- वार्षिक परीक्षा मेधावियों को मिला सम्मान खिले चेहरे
इसके माध्यम से सभी जिलों के कोरोना संक्रमित मरीजों की स्क्रीनिंग की जाएगी। खासतौर से स्क्रीनिंग का काम उन 15 सबसे प्रभावित जिलों में शुरू किया जाएगा, जहां हॉटस्पॉट घोषित किए गए हैं। आइए जानते हैं कि ये दोनों तकनीक हैं क्या और इनकी जरूरत क्यों पड़ी।
कहां होगा प्रयोग
ये टेस्ट ज्यादा संक्रमण वाले इलाकों और प्रवासियों के इकट्ठा होने वाली जगहों पर किए जाएंगे। दिल्ली में बीते शुक्रवार को किट की कमी से शुरू नहीं हो सका। यूपी समेत कई राज्य अपनाने जा रहे हैं।
रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट
जब आप किसी वायरस से संक्रमित होते हैं तो शरीर इसकी प्रतिक्रिया में एंटीबॉडीज बनाता है। इस टेस्ट में इन्हीं एंटीबॉडी का पता लगाया जाता है। इसके लिए उंगली से एक-दो बूंद खून का नमूना लिया जाता है और उसकी जांच की जाती है। जिस व्यक्ति का पहले टेस्ट न हुआ हो या वो खुद से ठीक हो गया हो, उसकी पहचान इस टेस्ट से की जा सकती है।
क्या जरूरी
- इससे सरकार को पता चलेगा कि जनसंख्या का कितना बड़ा हिंसा संक्रमित है या था।
- संक्रमित इलाकों में टेस्ट करने से ज्यादा से ज्यादा कोरोना वायरस से संक्रमित हुए लोगों का पता लगाया जा सकेगा।