मदर्स डे इतिहास क्या है एवं इसके क्यों मानते है
मदर्स डे माँ के सम्मान में मनाया जाता है. मातृत्व, मातृ बंधन व् परिवार में माँ के महत्त्व को सेलिब्रेट करता, इस मदर्स डे की आप सभी को ढेरों शुभकामनाएं. हमारे भारतीय समाज में माँ को भगवान के समान दर्जा दिया जाता था, भगवान के बाद अगर कोई बोले तो माँ की ही पूजा की जाती है. वैसे माँ के बलिदान उनके प्यार को शब्दों में या किसी एक दिन स्पेशल बनाकर नहीं कर सकते है. मदर्स डे रोज सेलिब्रेट होना चाहिए, ताकि हम अपनी माँ के कार्य को दिल से समझ सकें और उन्हें वो सम्मान दें जिसकी वो हक़दार है. कहते है जिनके पास जो चीज नहीं होती है उन्हें वो चीज की सही कीमत समझ आती है. जिनके पास माँ नहीं होती है, वो उनकी कमी को अच्छे से समझ सकते है.
माँ वो है जो हमें जीना सिखाती है, दुनिया में वो पहला इन्सान जिसे हम मात्र स्पर्श से जान जाते है वो होती है माँ. 9 महीने तक अपने पेट में रखने के बाद, इनती परेशानियों के बाद वो हमें जन्म देती है. माँ के लिए तो उसकी पूरी दुनिया उसके बच्चे ही होते है. छोटे हो या बड़े माँ को हर वक्त अपने बच्चे की चिंता होती है. स्कूल जाने से पहले घर में जीवन का जो पाठ सिखाये वो होती है माँ. गिर कर जो उठना सिखाये वो होती है माँ. रात को देर तक पढाई करने पर जो हमारे साथ जागे वो होती है माँ. रिजल्ट आने पर जिसे हम से ज्यादा ख़ुशी हो वो होती है माँ. रात को देर से घर आने पर हमारा जो इंतजार करे वो होती है माँ. पापा से गलतियों में जो बचाए वो होती है माँ. हमें परेशानी में देख जो बिना बोले समझ जाये वो होती है माँ. हमारे दुःख में जो खुद रोने लगे वो होती है माँ. माँ को परिभाषित करने के लिए शब्द कम पड़ जायेंगें लेकिन उसे हम कुछ शब्दों में परिभाषित नहीं कर पायेंगें
मदर्स डे इतिहास क्या है एवं इसके क्यों मानते है ?
वैसे मदर्स डे सेलिब्रेशन अभी कुछ सालों से ज्यादा चलन में आ गया है. लोगों को लगता है कि ये अभी अभी शुरू हुआ है, लेकिन ऐसा नहीं है. इसकी शुरुवात 100 सालों पहले यूनानी व् रोमन में हुई थी. यूनानी क्रोनिस की पत्नी रिहा व् अपने कई देवी देवताओं को सम्मानित करने के लिए इस दिन को मनाते थे. रोमन भी बसंत में अपने इष्ट देव की पूजा आराधना किया करते थे. पहले ईसाई क्राइस्ट की माँ मरियम को सम्मानित करने के लिए महीने के चोथे रविवार को इसे सेलिब्रेट करने थे.
वैसे मदर्स डे सेलिब्रेशन की मुख्य रूप से शुरुवात uk में मानी जाती है, यहाँ 1908 में अन्ना जारविस अपनी माँ की याद में वर्जिना के एक चर्च में शहीद स्मारक बनवाती है. इनके अभियान ने us में शुरू हुए मातृ दिवस की याद दिला दी थी. अन्ना ने वहां की सरकार के सामने इसे नेशनल हॉलिडे घोषित करने की बात रखी, जिस पर कांग्रेस सरकार ठठ्ठा करने लगी और बोलने लगी माँ के साथ सास दिवस भी मनाया जाने लगे. अन्ना के प्रयासों के चलते 1911 में इसे लोकल हॉलिडे घोषित कर मनाया जाने लगा. इसके बाद 1914 में विल्सन ने माँ के सम्मान में मातृ दिवस को मई महीने के दुसरे रविवार मनाने की घोषणा की और इसे नेशनल हॉलिडे घोषित किया. इसके बाद 1920 से हॉलमार्क कार्ड्स व् दूसरी कंपनी इस स्पेशल दिन के लिए ग्रीटिंग कार्ड्स मार्किट में लाने लगी. अन्ना को लगता था ये कंपनियां इस दिन के महत्त्व को गलत तरीके से लोगों के सामने रख रही है, और उनका मानना था कि इस दिन का महत्व भावना से जुड़ा हुआ है ना कि किसी धंधे से. अन्ना इसके बाद इस दिन का बहिष्कार करने लगी और उन सभी कंपनियों के खिलाफ केस कर दिए. वे लोगों से अपील करती थी कि अपनी माँ को हाथ से बने हुए कार्ड व् गिफ्ट दो न कि बाजार से लेकर.
जारविस के प्रयास से ये दिन दुनिया भर में प्रचलित हो गया और आज लगभग 46 देशों में इसे धूमधाम से मनाया जाता है. लाखों लोग इस दिन को एक सुअवसर के रूप में मनाते है और अपनी माँ को उनके बलिदान, समर्थन, प्रयास के लिए दिल से धन्यवाद करते है.
मदर्स डे सेलिब्रेशन इन इंडिया
मदर्स डे मई के दुसरे रविवार को मनाया जाता है. सोशल नेटवर्किंग साईट के चलते ये दिन आजकल काफी प्रचलित हो गया है, और सभी की जानकारी में आने लगा है. आजकल गाँव शहर कसबे सभी जगह के लोग इस को जानते है और अपनी माँ को विश करके मनाते है. इन्टरनेट, सोशल साइट्स पर मदर्स डे के लिए बहुत से मेसेज उपलब्ध होते है, जिन्हें सब अपनी माँ को भेजकर विश करते है. बाकि देशों की तरह भारत में भी लोग इस दिन अपनी माँ को विश करते है, उनके साथ अपनी पुरानी फोटो शेयर कर थैंक यू बोलते है. जो लोग अपनी माँ के साथ रहते है वे उनके साथ समय गुजारते है, उन्हें घुमाने ले जाते है. सब अपने अपने तरीके इसे मनाते है. जो लोग अपनी माँ से दूर होते है वो फ़ोन पर अपनी माँ को विश करते है, उन्हें गिफ्ट भेजते है.