महराजगंज:
कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ की बस पर हुए आतंकी हमले में गुरुवार को फरेंदा क्षेत्र के ग्राम हरपुर निवासी पंकज त्रिपाठी शहीद होने से पूरे परिवार की खुशियां छिन गईं और दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। तीन बहनों व दो भाइयों में सबसे बड़े पंकज पर ही पूरे परिवार के भरण-पोषण का भार था। हर दिल अजीज पंकज गांव के लोगों की भी गाहे-बगाहे मदद कर देते थे।
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पंकज के शहीद होने से माता-पिता के बुढ़ापे की लाठी टूट गई वहीं चार वर्ष का बेटा बचपन में ही अनाथ हो गया। लाल-लाल कहते हुए विलाप कर रहीं मां सुशीला देवी अचेत हो गईं। दादी को रोता देख कर चार वर्षीय पोता प्रतीक भी रो पड़ा। शहीद की छोटी बहन महिमा, ममता व सीमा के चेहरे पर भाई के खोने का गम साफ दिखाई दे रहा था। अविरल बहते आंसू थमने के नाम नहीं ले रहे थे। छोटा भाई शुभम मासूम भतीजे प्रतीक को संभालते मिले। हालांकि प्रतीक उनके पास रहने को तैयार नहीं था और रोती-बिलखती मां के पास जाने की जिद कर रहा था। प्रतीक समझ नहीं पा रहा था कि मां, दादी, बुआ, दादा रो क्यों रहे हैं? पुलिस अधीक्षक रोहित ¨सह सजवान ने बेटे के लिए तड़पती शहीद की मां को ढांढस बंधाया और हर संभव मदद का भरोसा दिलाया। .
Source :- jagran.com