प्रदेश सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा बजट प्रावधान के विपरीत आपातकाल के दौरान जेल में निरुद्ध रहे मीसाबंदियों को पेंशन बंद करने का प्रभाव नागदा के 14, उन्हेल के 6 और खाचरौद के 4 मीसाबंदियों पर पड़ा है। गौरतलब है मीसाबंदियों की सूची में केंद्रीय मंत्री थावरचंद गेहलोत भी शामिल है। हालांकि पूर्व में नागदा से मीसाबंदियों की सूची में हनुमानप्रसाद शर्मा, गंगाराम गुर्जर के नाम ही शामिल थे। लेकिन 10 अप्रैल 2017 को एक अध्यादेश के बाद सामान्य प्रशासन विभाग ने केंद्रीय मंत्री गेहलोत सहित नागदा से जगदीशचंद्र शर्मा, गुलाब वाघमारे, सुरेश भांड, रमेश चौधरी, कैलाश देवल, जगदीश मीणा, स्व. रघुवीरसिंह रघुवंशी, बसंत बोरकर, अवधेश भटनागर, हीरालाल गुप्ता, शंभूदयाल शर्मा काे भी मीसाबंदियों की सूची में शामिल कर पेंशन का लाभ देना शुरू किया गया था। उन्हेल से गेंदालाल पंवार, पुरुषोत्तमराव विपट, मानमल जैन, भगवान अटोलिया (बेड़ावन) और खाचरौद से अनोखीलाल भंडारी, राजेंद्र जायसवाल, स्व. बगदीराम बंबोरिया, अनिल छाजेड़ मीसाबंदी रहे हैं।
10 अप्रैल को कलेक्टर कार्यालय द्वारा अनुशंसा कर सामान्य प्रशासन विभाग को भेजी गई 28 मीसाबंदियों की सूची में 11 लोग नागदा के हैं। सूची में केंद्रीय मंत्री थावरचंद गेहलोत का नाम भी शामिल हैं। उन्हें 14 नवंबर से 1975 से 6 जनवरी 1976 तक जिला जेल भैरवगढ़ में निरुद्ध बताया गया है। सूची में शहर के जगदीशचंद्र शर्मा, गुलाब वाघमारे, सुरेश भांड, रमेश चौधरी, कैलाश देवल, जगदीश मीणा, स्व. रघुवीरसिंह रघुवंशी, बसंत बोरकर, अवधेश भटनागर, हीरालाल गुप्ता का नाम हैं। नियमानुसार मीसाकाल के दौरान एक माह तक जेल में बंद रहे लोगों को प्रतिमाह 25 हजार रुपए की सम्मान निधि दी जाएगी।
गेहलोत को शामिल करने का हुआ था विरोध
सूची में केंद्रीय मंत्री गेहलोत का नाम शामिल करने पर कुछ लोगों ने सवाल भी उठाए थे। ये वे लोग थे, जिन्हें मीसाबंदी सम्मान के योग्य नहीं माना गया है। आरोप था कि रिकाॅर्ड में हेरफेर किया गया है। गेहलोत मात्र 13 दिन ही मीसाकाल में जेल में बंद रहे थे। इस पर उनके साथ जेल में बंद रहे जगदीश शर्मा ने तब प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जेल का आवक-जावक रिकाॅर्ड प्रस्तुत कर गेहलोत पर लगे आराेपों को झूठा बताया था। शर्मा के अनुसार मीसाबंदी को लेकर गजट नोटिफिकेशन में जेल में बंद होने के दिन से निरुद्ध काल की गणना के तहत वे स्वयं और गेहलोत 53 दिन तक जेल में रहे थे। गौरतलब है पूर्व में 6 माह और बाद में 3 माह तक जेल में बंद रहे मीसाबंदियों को पेंशन देने का नियम था। वर्ष 2008 में गजट नोटिफिकेशन में संशोधन कर एक माह निरुद्ध रहे लोगों को भी मीसा सम्मान निधि के लिए प्रदेश सरकार ने पात्र माना था।
Sources :- bhaskar.com