भारतीय वायुसेना के लिए सोमवार का दिन बेहद ख़ास रहा. भारतीय वायुसेना की ताकत को बढ़ाने वाला चिनूक हेलीकॉप्टर उसके बेढ़े में शामिल हो गया है.
चंडीगढ़ में 12वीं विंग एयर फ़ोर्स बेस में एयर चीफ़ मार्शल बीएस धनोआ ने इसकी जानकारी दी और कहा कि देश की सुरक्षा से जुड़ी चुनौतियों को देखते हुए चिनूक हेलीकॉप्टर बेहद अहम साबित होगा.
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उन्होंने कहा, ” इस हेलीकॉप्टर की मदद से भारतीय वायुसेना ऊंचे और दुर्गम इलाकों में भारी भरकम साजो सामान ले जाने में सक्षम हो सकेगी.”

चीफ़ मार्शल धनोआ ने कहा, ”चिनूक हेलीकॉप्टर की मदद से ना सिर्फ़ सेना को युद्ध से जुड़े हथियारों को ले जाने में मदद मिलेगी बल्कि इसके ज़रिए प्राकृतिक आपदा के दौरान चलने वाले सैन्य अभियानों में भी प्रभावित लोगों को सुरक्षित स्थानों में ले जाने और राहत सामग्री जुटाने में मदद मिलेगी.”
अमरीका में निर्मित चिनूक हेलीकॉप्टर के भारतीय वायुसेना में शामिल होने की टाइमिंग भी बेहद ख़ास है. हाल ही में पुलवामा हमले और उसके बाद सीमा पर बढ़े तनाव के चलते भारत और पाकिस्तान की वायुसेना की कई बार तुलना की गई है.
भारत ने सितंबर 2015 में बोइंग के साथ 8,048 करोड़ रुपए में 15 सीएच-47एफ़ चिनूक हेलीकॉप्टर खरीदने का करार किया था. इन 15 हेलीकॉप्टर में से चार भारत को मिल चुके हैं. बाकी हेलीकॉप्टर अगले साल तक भारत को मिलने की उम्मीद है.

वायुसेना के अधिकारियों के अनुसार चिनूक चॉपर की मदद से दुर्गम इलाकों में सड़क निर्माण की परियोजनाओं में भी मदद मिलेगी.
चिनूक हेलीकॉप्टर को चला चुके एक पायलट आशीष गहलावत ने बताया कि यह हेलीकॉप्टर बेहद भारी भरकम सामान को ले जाने में सक्षम है.
आशीष गहलावत ने अमरीका के डेलावेयर में चार हफ़्ते चिनूक हेलीकॉप्टर चलाने की ट्रेनिंग ली है. उन्होंने कहा, ”हम अभी तक जिन हेलीकॉप्टर को उड़ाते हैं उसमें सिंगल रोटर इंजन होता है जबकि चिनूक हेलीकॉप्टर में दो रोटर इंजन लगे हैं, यह बहुत ही नया कन्सेप्ट है.”

आशीष ने कहा कि यह हेलीकॉप्टर बहुत तेजी से उड़ान भरने में सक्षम है, यही वजह है कि यह बेहद घनी पहाड़ियों में भी सफ़लतापूर्वक काम कर सकता है.
अधिकारियों ने बताया कि यह हेलीकॉप्टर किसी भी तरह के मौसम का सामना कर सकता है. इस हेलीकॉप्टर के ज़रिए भारतीय सेना अपनी टुकड़ियों को दुर्गम और ऊंचे इलाकों में जल्दी पहुंचा सकेगी, सेना को हथियार आसानी से मुहैया करवाए जा सकेंगे.
इस हेलिकॉप्टर की ख़ासियत है कि यह छोटे हेलीपैड और घनी घाटियों में भी उतर सकता है.

चॉपर के नीचे लगे तीन हुक को दिखाते हुए आशीष गहलावत ने बताया कि चिनूक हेलीकॉप्टर 11 टन तक का भार उठा सकता है.
इस हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल 19 देशों की सेनाएं करती हैं. मौजूदा वक़्त में भारतीय वायुसेना अपने अभियानों के लिए एमआई-26एस का इस्तेमाल करती है.
Source :- www.bbc.com