आपके प्रॉविडेंट फंड (पीएफ) पर ब्याज दरों को लेकर फैसला हो गया है. वित्त वर्ष 2019-20 के लिए ब्याज दरें 8.65 फीसदी से घटाकर 8.50 फीसदी कर दी गई हैं
आपके प्रॉविडेंट फंड (पीएफ) पर ब्याज दरों को लेकर फैसला हो गया है. वित्त वर्ष 2019-20 के लिए ब्याज दरें 8.65 फीसदी से घटाकर 8.50 फीसदी कर दी गई हैं. कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के शीर्ष निकाय केंद्रीय न्यासी बोर्ड (सीबीटी) की बैठक में ये फैसला हुआ है. आपको बता दें कि केंद्रीय न्यासी बोर्ड ही पीएफ पर ब्याज दर को लेकर फैसला लेता है और इस फैसले को वित्त मंत्रालय की सहमति की जरूरत होती है. कर्मचारी भविष्य निधि के दायरे में आने वाले कर्मचारियों के मूल वेतन (मूल वेतन+महंगाई भत्ता) का 12 प्रतिशत PF में जाता है. इतना योगदान कंपनी भी करती है. लेकिन कंपनी के 12 फीसदी योगदान में से 8.33 फीसदी EPS (Employee Pension Scheme) में जाता है. इसके अलावा केंद्र सरकार भी इसमें मूल वेतन का 1.16 प्रतिशत का योगदान देती है.
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PF पर ब्याज घटने का क्या असर- EPFO अपने एनुअल ऐक्रुअल्स का 85 प्रतिशत हिस्सा डेट मार्केट में और 15 प्रतिशत हिस्सा एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स के जरिए इक्विटीज में लगाता है. पिछले साल मार्च के अंत में इक्विटीज में EPFO का कुल निवेश 74,324 करोड़ रुपये था और उसे 14.74 फीसदी का रिटर्न मिला था. हालांकि सरकार को यह भी ध्यान में रखना होगा कि पीएफ पर ब्याज दर घटने से कर्मचारियों का सेंटीमेंट खराब होगा. क्योंकि अब उन्हें कम मुनाफा मिलेगा.
EPFO पर ब्याज दर एक बड़ी सेंटीमेंट बूस्टर रही है. इसमें अभी कोई भी कमी एंप्लॉयी सेंटीमेंट को और खराब कर सकती है. लेबर मिनिस्टर की अध्यक्षता वाला बोर्ड EPFO में निर्णय करने वाला शीर्ष निकाय है. EPFO के 6 करोड़ एक्टिव सब्सक्राइबर हैं.
क्यों घटाईं ब्याज दरें- मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, EPFO ने 18 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का निवेश किया है. इसमें से करीब 4500 करोड़ रुपये दीवान हाउसिंग फाइनेंस कॉरपोरेशन और इन्फ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनैंशल सर्विसेज में लगाए गए हैं. इन दोनों को ही भुगतान करने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. डीएचएफएल जहां बैंकरप्सी रिजॉल्यूशन प्रॉसेस से गुजर रही है, वहीं IL & FS को बचाने के लिए सरकारी निगरानी में काम चल रहा है.
Sources :- hindi.news18.com