महाराजगंज के इन वनटांगियां गांवों में खुलेंगे विद्यालय
वनटांगिया परिवारों को विकास की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए गोरखपुर और महाराजगंज के वनटांगिया गांवों में प्रस्तावित 19 नए परिषदीय विद्यालय खोले जाएंगे। योगी सरकार ने इसकी मंजूरी देते हुए चार करोड़ 90 लाख रुपये का बजट भी जारी कर दिया है। इस पहल के तहत गोरखपुर में दो पूर्व माध्यमिक और पांच प्राथमिक विद्यालय खोले जाएंगे। वहीं महाराजगंज जिले में आठ प्राथमिक और चार पूर्व माध्यमिक विद्यालय खुलेंगे। इसका आदेश गोरखपुर के बेसिक शिक्षा विभाग में पहुंच गया है।आदेश के मुताबिक सरकार ने प्रति प्राथमिक विद्यालय 21.95 लाख और पूर्व माध्यमिक विद्यालय के लिए 34.25 लाख की धनराशि आवंटित की है। इन सभी विद्यालयों के निर्माण की जिम्मेदारी कार्यदायी संस्था यूपी सिडको को मिली है। संस्था को भवन निर्माण के साथ ही 100 मीटर लंबी बाउंड्रीवाल (1.8 मीटर ऊंची) का भी निर्माण कराना होगा।
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गोरखपुर शहर से करीब 11 किलोमीटर दूर पिपराइच रोड पर वनटांगियों के गांव शुरू हो जाते हैं। गोरखपुर, महाराजगंज और श्रावस्ती से लेकर गोंडा तक के कई गांवों में वनटांगिया समुदाय के लोग रहते हैं। मुख्यमंत्री ने पिछले साल गोरखपुर, महाराजगंज और गोंडा के ऐसे कई गांवों को राजस्व ग्राम घोषित किया था।
गोरखपुर में यहां खुलेंगे परिषदीय विद्यालय
चरगांवा में प्राथमिक और पूर्व माध्यमिक विद्यालय तिनकोनिया नंबर तीन, प्राथमिक विद्यालय आजाद नगर नर्सरी, प्राथमिक विद्यालय खाले टोला रामगढ़, प्राथमिक और पूर्व माध्यमिक विद्यालय आमबाग नर्सरी, पिपराईच के प्राथमिक विद्यालय चिलबिलवा नर्सरी।
महाराजगंज के इन वनटांगियां गांवों में खुलेंगे विद्यालय
पनियरा ब्लॉक के प्राथमिक विद्यालय बरहवा, परतावल ब्लॉक के प्राथमिक विद्यालय बेलासपुर, फरेंदा के प्राथमिक और पूर्व माध्यमिक विद्यालय भारी बइसी, प्राथमिक विद्यालय और पूर्व माध्यमिक सूरपार, बृजमनगंज के प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालय खुर्रमपुर, सदर के प्राथमिक विद्यालय बीट नर्सरी, प्राथमिक विद्यालय उसरहवा नर्सरी, मिठौरा के पूर्व माध्यमिक विद्यालय हथियहवा, प्राथमिक विद्यालय बलुआहिया।
कौन हैं वनटांगिया
देश के अंदर आजादी के पूर्व वनों के संरक्षण और संवर्धन के लिए ब्रिटिश सरकार ने वन्य ग्राम (वन टांगिया गांव) बसाए थे। इन गांवों का उद्देश्य ग्राम समाज और सरकार की गैरजरूरी भूमि पर वन लगाने, उनकी सुरक्षा और उनका विकास करना था। इसके बदले में सरकार ने उन्हें कुछ जमीन दी थी लेकिन आजादी के बाद इन लोगों का कोई पुरसाहाल नहीं रहा। पूर्वी उत्तर प्रदेश में गोरखपुर-कुशीनगर से लेकर लखीमपुर खीरी तक 56 ऐसे गांव हैं जो वन्य ग्राम हैं। जंगलों के बीच में होने के कारण कोई भी बुनियादी सुविधा इन लोगों के पास नहीं है।