नरेंद्र मोदी सरकार ने कोरोना महामारी के बीच पेरासिटामोल से बनने वाले दवा फार्मुलेशंस के निर्यात पर लागू प्रतिबंध को शुक्रवार को हटा दिया। विदेश व्यापार महानिदेशालय ने यह जानकारी दी।
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डीजीएफटी ने एक अधिसूचना में कहा है कि पेरासिटामोल से बनने वाले फार्मुलेशंस (फिक्स्ड डोज मिश्रण) को तुरंत प्रभाव से निर्यात के लिए खोल दिया गया है। हालांकि पेरासिटामोल बनाने में काम आने वाले माल के निर्यात पर रोक जारी रहेगी।
बता दें प्रतिबंध की श्रेणी के तहत आने वाली वस्तुओं के निर्यात के लिए निर्यातकों को डीजीएफटी से अनापत्ति प्रमाणपत्र या लाइसेंस की आवश्यकता होती है। केंद्र सरकार ने 3 मार्च को पेरासिटामोल सहित 26 दवाओं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। छह अप्रैल को 24 दवाओं में प्रयुक्त होने वाले रसायनों और फार्मुलेशंस के निर्यात से रोक हटा ली थी। इसमें पेरासिटामोल को छोड़ दिया गया था। पेरासिटामोल आमतौर पर बुखार और बदन दर्द में ली जाती है।
डाक विभाग ने लॉकडाउन में 100 टन दवाओं की आपूर्ति की
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बताया कि डाक विभाग ने लॉकडाउन के दौरान 100 टन से ज्यादा दवाओं और चिकित्सा से जुड़े अन्य आवश्यक सामान की आपूर्ति की है। विभाग ने इसके लिए मालवाहक विमानों और डिलिवरी वैन का इस्तेमाल किया है।
कोविड-19 पर संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए गृह मंत्रालय की संयुक्त सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने बताया कि दो लाख से ज्यादा डाकिये और ग्रामीण डाक सेवक यह सुनिश्चत कर रहे हैं कि सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों को भारतीय डाक भुगतान बैंक की मदद से वक्त पर धन मिले। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के दौरान भारतीय डाक विभाग ने अस्पतालों और अन्य उपभोक्ताओं को 100 टन से ज्यादा दवाएं, जांच किट और वेंटिलेटर पहुंचाए। कोरोना वायरस संक्रमण के मद्देनजर 25 मार्च से ही देश में लॉकडाउन लागू है।
उन्होंने कहा, इस अवधि में राज्यों के भीतर और एक राज्य से दूसरे राज्य तक डाक पहुंचाने के लिए विभाग ने विशेष इंतजाम किए हैं। श्रीवास्तव ने कहा कि विभाग ने जिला प्रशासन और एनजीओ के साथ मिलकर लॉकडाउन के दौरान खाद्य सामग्री और राशन पहुंचाया है। उन्होंने कहा कि पूरे देश में मोबाइल (चल) डाकघर काम कर रहे हैं।