जेट एयरवेज का संकट यात्रियों पर भारी पड़ रहा है। दूसरी एयरलाइने भी मदद की स्थिति में नहीं हैं।
जेट एयरवेज का संकट यात्रियों पर भारी पड़ रहा है। दूसरी एयरलाइने भी मदद की स्थिति में नहीं हैं। ऐसे में जेट के यात्रियों और कर्मचारियों को और मुसीबत से बचाने के लिए सरकार को मैदान में कूदना पड़ा है। विमानन मंत्री सुरेश प्रभु के निर्देश पर मंगलवार को डीजीसीए ने जेट एयरवेज के अधिकारियों के साथ बैठक कर वैमानिक सुरक्षा के साथ-साथ यात्रियों और कर्मचारियों के हितों की रक्षा करने को कहा। हालांकि इससे भारतीय विमानन क्षेत्र पर आया संकट पूर्णतया समाप्त हो जाएगा इसकी उम्मीद कम है। क्योंकि इस समय जेट एयरवेज ही नहीं, बल्कि एयर इंडिया, स्पाइसजेट और यहां तक कि इंडिगो भी किसी न किसी परेशानी से जूझ रही हैं। जिससे उनकी उड़ाने भी रद हो रही हैं। ऐसे में यात्रियों पर चौतरफा मार है, क्योंकि किराये भी बढ़ रहे हैं।
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केवल 41 विमान उड़ रहे
वित्तीय चुनौतियों के कारण जेट एयरवेज लगातार संकट से जूझ रही है। इस कारण वो लीज पर लिए गए अनेक विमानों का रेंट भी अदा नहीं कर पा रही है। इस कारण उसे कई विमान लौटाने पड़े हैं। इससे उसके 119 विमानों के बेड़े में सिर्फ 103 बचे हैं। इनमें भी आधे से ज्यादा विमानों को लीज प्रदाताओं ने खड़ा करने को मजबूर कर दिया है। ऐसे में केवल 41 विमान ही उड़ पा रहे हैं। यही वजह है कि रोजाना दर्जनों उड़ानों को कैंसिल करना पड़ रहा है। इससे यात्री बेहाल हैं। कोई भी उनकी समस्याओं का संतोषजनक समाधान करने को तैयार नहीं है।
यात्रियों की शिकायतें दूर करे
खुद डीजीसीए ने बैठक के बाद कहा है कि स्थिति लगातार बदल रही है जिससे आने वाले हफ्तों में जेट एयरवेज की उड़ाने और कम हो सकती हैं। उपलब्ध 41 विमानों से रोजाना महज 603 घरेलू और 382 अंतराष्ट्रीय उड़ाने करने का वादा जेट एयरवेज ने किया है। जेट एयरवेज के चेयरमैन नरेश गोयल ने सोमवार को कहा था कि एयरलाइन ने सोच-समझकर एहतियात के तौर पर उड़ानों में कटौती का फैसला लिया है। डीजीसीए ने जेट एयरवेज से कहा है कि इन हालात में यात्रियों की तकलीफ को कम से कम करने के लिए उन्हें उड़ाने रद होने, वैकल्पिक उड़ानों, रिफंड एवं क्षतिपूर्ति आदि से संबंधित सूचनाएं समय से देने के पुख्ता इंतजाम करें।
पायलट, इंजीनियरों को नहीं मिला वेतन
इसी के साथ डीजीसीए ने जेट से असंतुष्ट पायलटों और मेंटीनेंस इंजीनियरों की चिंताओं का समाधान करने तथा यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने को भी कहा है। गौरतलब है कि जेट के पायलटों ने समय पर वेतन न मिलने की स्थिति में 1 अप्रैल से विमान न उड़ाने की चेतावनी दी है। इस बीच जेट के मेंटीनेंस इंजीनियरों के संगठन जेट मेंटीनेंस इंजीनियर्स वेलफेयर एसोसिएशन (जमेवा) ने भी तीन महीने से वेतन न मिलने के चलते मानसिक तनाव और उससे विमानों के रखरखाव और उड़ानों पर पड़ रहे असर की ओर ध्यान आकृष्ट करने के लिए डीजीसीए को एक चिट्ठी लिखी थी। हालांकि बाद में उसने बयान जारी कर प्रबंधन को पूर्ण सहयोग का वादा भी कर दिया। उधर पिछले हफ्ते पायलटों के संगठन नेशनल एविएटर गिल्ड (नाग) ने भी सरकार को खत लिखकर वेतन मसले पर हस्तक्षेप की विनती की थी।
प्रभु के निर्देश पर बैठक
ये बैठक विमानन मंत्री सुरेश प्रभु के निर्देश पर बुलाई गई थी। जिन्होंने यात्रियों की शिकायत को संज्ञान में लेते हुए डीजीसीए को जेट एयरवेज के साथ बैठक करने को कहा था। अनेक यात्रियों ने प्रभु को ट्वीट कर उड़ाने रद होने, रिफंड, क्षतिपूर्ति और सुरक्षा को लेकर जेट एयरवेज के रवैये की आलोचना की थी और सरकार से हस्तक्षेप का अनुरोध किया था। प्रभु ने विमानन सचिव प्रदीप सिंह खरोला से कहा है कि वे ये सुनिश्चित करने वाली एक रिपोर्ट उन्हें भेजें कि जेट एयरवेज को दिए गए निर्देशों का पालन हो रहा है।
जेट से सबसे बड़ी शिकायत रिफंड में आनाकानी की
विमान यात्रियों ने जेट एयरवेज के संकट के बीच यात्रियों के हो रहे शोषण को लेकर सरकार से जो शिकायतें की हैं उनमें प्रमुख शिकायत अग्रिम बुकिंग के बाद फ्लाइट कैंसिल होने और फिर वैकल्पिक फ्लाइट न लेने वालों को रिफंड में आनाकानी को लेकर है। विमान यात्रियों की संस्था एयर पैसेंजर्स एसोसिएशन ने विमानन मंत्री सुरेश प्रभु से जेट एयरवेज के इस रवैये पर अंकुश लगाने का अनुरोध किया था।
जेट एयरवेज के अनेक यात्रियों की शिकायतों के समर्थन में एयर पैसेंजर्स एसोसिएशन ने प्रभु को ट्वीट कर कहा था कि जेट एयरवेज की इस समय जो हालत है, आधे विमान खड़े हुए हैं, लगातार उड़ाने रद हो रही हैं, उसे देखते हुए उसे अग्रिम के ऑफर देने और ऐसी बुकिंग स्वीकार करने से रोका जाना चाहिए। क्योंकि एयरलाइन पहले तो आकर्षक ऑफर देकर ढेर सारी बुकिंग ले लेती है, लेकिन बाद में जब उड़ाने रद होती हैं तो पैसे वापस देने में आनाकानी करती है।
कई बंद हो चुकीं एयरलाइनें, जिनमें फिर से चालू हो चुकी एक एयरलाइन शामिल है, पूर्व में इस तरह की तरकीब अपनाकर यात्रियों के अरबों रुपया डकार चुकी हैं। ट्विटर पर जेट से संबंधित शिकायतों की भरमार है। जिनमें अनेक शिकायतें प्रभु के ट्वीट के जवाब में की गई हैं। यही वजह है कि प्रभु को आगे आना पड़ा। उन्होंने जेट से वैकल्पिक उड़ान न लेने वाले सभी यात्रियों को नियमानुसार रिफंड देने को कहा है। साथ ही पायलटों और केबिन क्रू सदस्यों को समुचित आराम के बगैर जबरन ड्यूटी पर न लगाने तथा सभी विमानों का आवश्यक रखरखाव व मरम्मत करने की ताकीद की है।