Friday, December 6, 2024
Homeकुम्भयागराज कुंभ मेला 2019: शरीर पर राख, अस्त्र-शस्त्र और डुबकी से शुरू...

यागराज कुंभ मेला 2019: शरीर पर राख, अस्त्र-शस्त्र और डुबकी से शुरू हुआ कुंभ

मंगलवार से शुरू होकर मार्च तक चलने वाले इस आयोजन के दौरान गंगा, यमुना और पौराणिक गाथाओं में वर्णित सरस्वती के संगम पर करीब 12 करोड़ श्रद्धालुओं के स्नान करने की उम्मीद है.

मंगलवार से शुरू होकर मार्च तक चलने वाले इस आयोजन के दौरान गंगा, यमुना और पौराणिक गाथाओं में वर्णित सरस्वती के संगम पर करीब 12 करोड़ श्रद्धालुओं के स्नान करने की उम्मीद है. हिंदुओं का मानना है कि ऐसा करने से वो अपने पापों को धो देंगे और जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्ति पाते हुए इस स्नान से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति में मदद मिलेगी.

तो इसमें शामिल होने के लिए लोग कैसे पहुंचते हैं और दुनिया के इस सबसे बड़े मेले के आयोजन के लिए मेला प्रबंधन कैसे काम करता है?

कुंभ मेला, kumbh mela, kumbh mela 2019, त्रिवेणी, संगम, इलाहाबाद, प्रयागराज

इलाहाबाद (हाल ही में इसका नाम प्रयागराज कर दिया गया) में कुंभ मेले का आयोजन प्रत्येक 12 साल पर होता है. हर छह साल में अर्धकुंभ का आयोजन होता है.

मेले की आधिकारिक रूप से शुरुआत मंगलवार को हो रही है और मेला प्रशासन ने इस दौरान डेढ़ से दो करोड़ लोगों के आने को लेकर अपनी तैयारियां की हैं.

लेकिन उनकी तैयारियों की असली परीक्षा 4 फ़रवरी को होगी जब इस पर्व के सबसे पवित्र दिन स्नान के लिए तीन करोड़ लोगों के पहुंचने की संभावना है. यह पर्व 4 मार्च तक चलेगा.

इस साल अर्ध कुंभ का आयोजन हो रहा है जो दो कुंभ के बीच में पड़ता है, और कुंभ का छोटा संस्करण है- लेकिन यहां इसके लघु संस्करण जैसा कुछ भी नहीं है. बल्कि यह तो 2013 में आयोजित कुंभ मेले से भी कहीं बड़ा आयोजन है.

कुंभ के दौरान कहां ठहरते हैं श्रद्धालु?

नदी की गीली मिट्टी पर सिलसिलेवार तंबुओं की कतारें लगाई जाती हैं और हज़ारों अधिकारी चौबीसों घंटे काम में व्यस्त रहते हैं ताकि आयोजन निर्बाध चलता रहे.

जब इस संवाददाता ने कुछ दिनों पहले मेले के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी राजीव राय से बात की तो उन्होंने बताया, “हम एक साल से भी अधिक समय से काम कर रहे हैं.”

वो कहते हैं कि करीब छह हज़ार धार्मिक और सांस्कृतिक संगठन को जगहें आवंटित की गई हैं ताकि वो इस पर टेंट डाल सकें जहां देश और दुनिया भर से पहुंचने वाले श्रद्धालु ठहर सकें.

हमारी बातचीत के दौरान बार बार उनके फ़ोन कॉल्स आते रहे, कर्मचारी उनके हस्ताक्षर लेने आते रहे और उनसे बात करने पहुंचे भगवाधारी साधु जबरन उनके दरवाज़े से भीतर घुस आते.

इन सबके बीच, उन्होंने बताया कि यह मेला 32 वर्ग किलोमीटर बड़े क्षेत्र में आयोजित किया जा रहा है, यह एक बड़े शहर के बराबर है.

कुंभ मेला, kumbh mela, kumbh mela 2019, त्रिवेणी, संगम, इलाहाबाद, प्रयागराज
Image captionमेले से पहले शहर के आधारभूत ढांचे में भारी निवेश किया गया है

तो श्रद्धालु वहां तक कैसे पहुंचते हैं?

कुंभ मेला का आयोजन सदियों से होता आ रहा है लेकिन हाल के दशकों में इसने बहुत बड़ा रूप ले लिया है. 2001 में आयोजित कुंभ मेला इलाहाबाद का पहला ऐसा ‘मेगा मेला’ था.

इस साल के आयोजन का बजट 28 अरब रुपये है और 49 दिनों के इस आयोजन के दौरान ब्रिटेन और स्पेन की कुल आबादी जितनी संख्या में यहां लोगों के पहुंचने की संभावना है.

पिछले 12 महीनों में शहर के बुनियादी ढांचे में बहुत बड़ा बदलाव आया है.

यहां बना एक नया हवाईअड्डा दिल्ली से एक घंटे से भी कम समय में आगंतुकों को यहां पहुंचा रहा है.

शहर के चारों ओर, सड़क को चौड़ा किया गया है और नए फ्लाइओवर्स बनाए गए हैं. मेला ग्राउंड में 300 किलोमीटर सड़कें बनाई गई हैं.

यहां पांच लाख से अधिक वाहनों के लिए बड़ी पार्किंग का इंतजाम किया गया है.

रेलवे ने भी भीड़ को देखते हुए कई ट्रेनों की घोषणा की है.

रेलवे के प्रवक्ता अमित मालवीय कहते हैं, “हम इस मेले के दौरान 35 लाख श्रद्धालुओं की ट्रेन से यात्रा करने की उम्मीद कर रहे हैं. शहर के सभी आठ स्टेशनों को संवारा और बड़ा किया गया है.”

वो मुझे इलाहाबाद जंक्शन पर लेकर गये और दिखाया कि इस बार ऐसे क्या उपाय किए गये हैं ताकि पिछली बार इस मेले के दौरान मची भगदड़ जैसी कोई घटना नहीं हो, उस दौरान 40 लोगों की मौत हो गई थी.

यहां एक नया प्लेटफॉर्म जोड़ा गया है, कई प्लेटफॉर्म्स को जोड़ते एक पैदल यात्री पुल का निर्माण किया गया है और आगमन और प्रस्थान करने वाले यात्रियों के लिए कलर कोड के साथ वेटिंग एरिया बनाया गया है, ताकि भीड़ को नियंत्रित किया जा सके.

इस मेले को देखते हुए पांच हज़ार अतिरिक्त रेलवे कर्मचारियों को यहां लाया गया है.

कुंभ मेला, kumbh mela, kumbh mela 2019, त्रिवेणी, संगम, इलाहाबाद, प्रयागराज, Security at Kumbh Mela 2019

इतने बड़े मेले के लिए पुलिस कैसे काम करती है?

मेले के दौरान यातायात और सुरक्षा से निपटने के लिए 30 हज़ार से अधिक पुलिस और अर्धसैनिक बलों के जवानों को तैनात किया गया है.

वरिष्ठ पुलिस अधिकारी कविंद्र प्रताप सिंह का कहना है कि बहुत सावधानी से ये योजना बनाई गई है कि चेक पोस्ट और सुरक्षा अवरोध कहां कहां लगाए जाएं.

वो कहते हैं, “हमारी प्राथमिकात यह सुनिश्चित करना है कि कोई भगदड़ या कोई आपदा न हो. इस चुनौती को पूरा करने के लिए हम चौबीसों घंटे काम कर रहे हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कुछ भी ग़लत न घटे.”

अधिकारियो का कहना है कि पहली बार भीड़ की गतिविधियों पर निगरानी रखने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का इस्तेमाल किया जा रहा है.

एक प्रवक्ता ने कहा, “हम भीड़ के आकार के आकलन के लिए एक हज़ार सीसीटीवी कैमरों को फुटेज का उपयोग करेंगे और अगर ज़रूरत पड़ी तो उन्हें डाइवर्ट करने की कोशिश करेंगे ताकि भीड़-भाड़ वाले इलाकों को खाली किया जा सके.”

कुंभ मेला, kumbh mela, kumbh mela 2019, त्रिवेणी, संगम, इलाहाबाद, प्रयागराज

कुंभ मेले पर एक नज़र

• कुंभ में हिंदू तीर्थयात्री गंगा, यमुना और पौराणिक नदी सरस्वति के संगम पर एकत्रित होते हैं.

• इस साल के कुंभ में सात हफ़्तों में 12 करोड़ लोगों के आने की उम्मीद है. इसकी तुलना में पिछले साल की हज यात्रा भी छोटी पड़ जाएगी जिसमें 24 लाख लोगों ने हिस्सा लिया था.

• कुंभ मेले की तिथि, अवधि और जगह (चार जगहों में से) का चयन ज्योतिषीय आधार पर किया जाता है.

• इससे पहले का कुंभ 2013 में इलाहाबाद में हुआ था. यह महाकुंभ भी था, जो हर 144 साल बाद होता है. हर 12 पूर्ण कुंभों के बाद महाकुंभ होता है. इसमें लगभग 10 करोड़ तीर्थयात्री आए थे.

• 1946 में यहां खोया-पाया कैंप लगाया गया था और तभी से यह अनगिनत परिवारों को भीड़ में बिछुड़े अपनों से मिलवाने में मदद करता है.

कुंभ मेला, kumbh mela, kumbh mela 2019, त्रिवेणी, संगम, इलाहाबाद, प्रयागराज, Security at Kumbh Mela 2019

कौन भरता है लाखों श्रद्धालुओं पेट

जो तीर्थयात्री आसपास से आते हैं वे अपना खाना साथ लेकर आते हैं.

लेकिन धार्मिक संगठन और तीर्थयात्री ख़ुद भी कैंप लगाते हैं जो एक महीने तक लगे रहते हैं. कई बार खाने-पीने की चीज़ों के लिए वे प्रशासन पर आश्रित रहते हैं.

मेला स्थल पर चावल, आटा, चीनी और खाना पकाने के लिए मिट्टी का तेल वितरित करने के लिए पांच गोदाम और 160 उचित मूल्य की दुकानें लगाई गई हैं.

खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग की अर्पिता उपाध्याय बताती हैं कि इस तरह से धार्मिक कैंपों को मुफ़्त में रसद दी जाती है और बाकी ग़रीबी रेखा से नीचे के श्रद्धालुओं को सस्ती दरों पर राशन दिया जाता है.

कुंभ मेला, kumbh mela, kumbh mela 2019, त्रिवेणी, संगम, इलाहाबाद, प्रयागराज, Security at Kumbh Mela 2019

डेढ़ लाख तीर्थयात्रियों को कार्ड दिए गए हैं जिनकी मदद से वे एक महीने तक सस्ता राशन लिया जा सकता है. इसमें 2 किलो चावल, 3 किलो आटा, साढ़े सात किलो चीनी और चार लीटर मिट्टी का तेल शामिल है.

कुल मिलाकर इस उत्सव के लिए 5,384 टन चावल, 7,834 टन गेहूं का आटा, 3,174 टन चीनी और 767 किलोलीटर मिट्टी के तेल की व्यवस्था की गई है.

मेले में मुफ़्त और स्वच्छ पेयजल के लिए 160 डिस्पेंसर लगाए गए हैं.

कुंभ मेला, त्रिवेणी, संगम, इलाहाबाद कुंभ, प्रयागराज कुंभ, अर्ध कुंभ, कुंभ मेला 2019

अगर लोग बीमार हो जाएं तो?

100 बिस्तरों वाला मुख्य अस्पताल और 10 छोटे अस्पताल एक दिसंबर से ही मेला ग्राउंड में काम कर रहे हैं.

तंबुओं के अस्थायी शहर में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण टीम का नेतृत्व कर रहे डॉक्टर अशोक कुमार पालीवाल कहते हैं, “हमारे ओपीडी में रोज़ 3000 मरीज़ आ रहे हैं. 15 जनवरी को जब भीड़ चरम पर होगी, हमें उम्मीद है कि यह संख्या 10 हज़ार तक बढ़ सकती है.”

डॉक्टर अशोक 193 डॉक्टरों और 1500 से अधिक स्वास्थ्य कर्मियों- नर्सों, फार्मसिस्ट और दंत विशेषज्ञों की टीम का नेतृत्व कर रहे हैं. इसके अलावा 80 आयुर्वेदिक प्रैक्टिशनर भी हैं जो पुरातन विधि से इलाज कर रहे हैं.

अस्पतालों में सर्जरी करने और एक्स-रे, अल्ट्रासाउंड और लैब टेस्ट करने की भी सुविधा है. डॉक्टर अशोक कुमार पालीवाल कहते हैं, “हमारे पास 86 एंबुलेंस हैं, नौ रिवर एंबुलेंस और एक एयर एंबुलेंस भी है. हम बड़ी आपात स्थिति का सामना करने के लिए भी तैयार हैं.”

कुंभ मेला 2019
Image captionकुंभ मेले के दौरान स्वच्छता बनाए रखना एक बड़ी चुनौती है

शौचालयों की स्थिति

पालीवाल और उनकी टीम मेले में स्वच्छता का भी ध्यान रख रही है. चूंकि यहां लाखों लोग आएंगे, ऐसे में उनके लिए 1 लाख 22 हज़ार शौचालय लगाए गए हैं. 20 हज़ार कूड़ेदान रखे गए हैं और 22 हज़ार सफ़ाई कर्मचारी रखे गए हैं.

कचरे के प्रबंधन के लिए भी विस्तृत योजना बनी है. डॉक्टर पालीवाल कहते हैं कि सभी टॉइलट जियो-टैग किए गए हैं जिससे कोई दिक्कत होने पर उसे सुलझाने में मदद मिलेगी.

मगर उनकी टीम आलोचना का भी सामना कर रही है क्योंकि शौचालयों में पानी नहीं है और उनसे दुर्गंध भी आ रही है.

पालीवाल का कहना था कि उत्सव शुरू होने से पहले ही इस समस्या को दूर कर लिया जाएगा.

वह कहते हैं, “यह महत्वाकांक्षी परियोजना है. लोग दिन रात काम कर रहे हैं. पाइपलाइन बिछा रहे हैं , पानी के कनेक्शन लगा रहे हैं, शौचालय बना रहे हैं. हम तय समय पर अपने लक्ष्य पूरे कर लेंगे.”

Sources :- bbc.com

Leave a Reply

Must Read

spot_img