17 अप्रैल को जैन धर्म के प्रमुख गुरु भगवान महावीर की 2617 वीं जयंती मनाई जा रही है।
17 अप्रैल को जैन धर्म के प्रमुख गुरु भगवान महावीर की 2617 वीं जयंती मनाई जा रही है। महावीर जयंती जैन समुदाय का सबसे बड़ा पर्व माना जाता है। जैन समाज के चौबीस तीर्थकरों में से महावीर अंतिम तीर्थकर माने जाते हैं, इस वजह से इन्हें मतावलंबी भी कहा जाता है। भगवान महावीर का जन्म 599 ईसवीं पूर्व बिहार में लिच्छिवी वंश के महाराज सिद्धार्थ और महारानी त्रिशला के घर हुआ। उनके बचपन का नाम वर्धमान था जो उनके जन्म के बाद से राज्य की तीव्र गति से तरक्की के चलते दिया गया। भगवान महावीर की जयंती पर प्रस्तुत हैं उनके अनमोल विचार…
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1- आत्मा अकेले आती है, अकेले चली जाती है, न कोई उसका साथ देता है न कोई उसका मित्र बनता है।
2- क्रोध हमेशा अधिक क्रोध को जन्म देता है और क्षमा और प्रेम हमेशा अधिक क्षमा और प्रेम को जन्म देते हैं।
3- ईश्वर का अलग से कोई अस्तित्व नहीं है। हर कोई सही दिशा में चलकर देवत्त्व प्राप्त कर सकता है।
4- आपने कभी किसी का भला किया हो तो उसे भूल जाओ और कभी किसी ने आपका बुरा किया हो तो उसे भूल जाओ।
5- मनुष्य के दुखी होने की वजह खुद की गलतियां ही हैं जो मनुष्य अपनी गलतियों पर काबू पा सकता है वही मनुष्य सच्चे सुख की प्राप्ति भी कर सकता है।
6- आपात स्थिति में मन को डगमगाना नहीं चाहिए।
7- खुद पर विजय प्राप्त करना लाखों शत्रुओं पर विजय पाने से बेहतर है।
8- अज्ञानी कर्म का प्रभाव खत्म करने के लिए लाखों जन्म लेता है जबकि आध्यात्मिक ज्ञान रखने और अनुशासन में रहने वाला व्यक्ति एक क्षण में उसे खत्म कर देता है।
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