मायावती हमेशा देश का प्रधानमंत्री बनने का ख्वाब देखती रही हैं।
मायावती हमेशा देश का प्रधानमंत्री बनने का ख्वाब देखती रही हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में एक भी लोकसभा सीट न जीत पाने के बाद भी मायावती के पीएम बनने के ख्वाब बरकरार हैं। रविवार को यूपी के देवबंद में आयोजित हुई महागठबंधन की पहली रैली में भी अपने भाषण में उन्होंने यही इशारा किया। उन्होंने कहा कि अगर हमें सरकार बनाने का मौका मिला तो हम गन्ना किसानों को उनकी फसलों का मूल्य तत्काल दिये जाने के आदेश देंगे। इसके अलावा एक बार और इसी टोन में उन्होंने कहा कि अगर उन्हें सरकार बनाने का मौका मिलता है तो वे देश के हर गरीब-किसान को उनके खेतों में ही स्थाई रोजगार देंगी। यह वादा करते हुए उन्होंने कांग्रेस पर हमला करने में कोई कोताही नहीं की। उन्होंने कांग्रेस की सबसे बड़ी योजना पर हमला करते हुए कहा कि हर महीने 6000 रुपये देने से गरीबी खत्म नहीं की जा सकती।
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मायावती ने अपनी इस तरह की मंशा लखनऊ में अपनी प्रेस कांफ्रेंस में भी जाहिर कर दी थी। दरअसल, अब तक की चुनावी परिस्थितियां देखने के बाद इस बात की आशंका जताई जाने लगी है कि लोकसभा 2019 का चुनाव परिणाम किसी भी पार्टी के पक्ष में एक तरफा नहीं होने जा रहा है। भाजपा और कांग्रेस दोनों ही जीत से काफी दूर ठिठक सकते हैं। अगर ऐसी परिस्थिति होती है तो नब्बे के दशक की तरह एक बार फिर गैर-कांग्रेसी और गैर-भाजपाई सरकार बनने की स्थितियां बन सकती हैं। इसी संभावना के मद्देनजर सपा-बसपा ने अपने गठबंधन में कांग्रेस को शामिल करने से साफ इनकार कर दिया। यानी, मायावती चुनाव के बाद स्पष्ट बहुमत न होने की स्थिति में खुद के पीएम बनने की संभावना देख रही हैं। हालांकि, मायावती के अलावा ममता बनर्जी जैसे अनेक छत्रप इसी तरह का ख्वाब देख रहे हैं और यह सब चुनाव बाद के समीकरणों पर निर्भर करेगा।
हालांकि, कांग्रेस के एक नेता ने मायावती के बयान पर टिप्पणी करते हुए कहा कि लोकतंत्र में सपने देखने पर कोई प्रतिबंध नहीं है, लेकिन इस दौर की सच्चाई यह है कि देश की सरकार भाजपा या कांग्रेस की अगुवाई में ही बनेगी। नेता ने कहा कि कांग्रेस ने तो जनता में किसी तरह का शक खत्म करने के लिए ही सपा-बसपा के साथ गठबंधन करने की पहल की थी, लेकिन उनके इनकार के बाद हमें चुनाव में अकेले उतरना पड़ा।
वहीं, भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुदेश वर्मा ने कहा कि मायावती खुद यूपी में आधी सीटों पर भी नहीं लड़ रही हैं और इसके बाद भी अगर वे सरकार बनाने की बात कह रही हैं तो यह हास्यास्पद है। क्या उनके सहयोगी समाजवादी पार्टी या गठबंधन का कोई नेता इसके लिए तैयार है? उन्होंने कहा कि कांग्रेस सहित पूरा विपक्ष जानता है कि इस बार नरेंद्र मोदी सरकार ज्यादा मजबूती के साथ वापसी कर रही है। इसलिए मायावती की सरकार बनाने की बातें चुनावी जुमलेबाजी, स्वयं और जनता को धोखा देने की कोशिश से अधिक और कुछ नहीं हैं।
Source :- www.amarujala.com