Friday, April 18, 2025
Homeकुम्भकुम्भ में अमृत वर्षा के बाद कहां चले जाते है नागा साधु,...

कुम्भ में अमृत वर्षा के बाद कहां चले जाते है नागा साधु, जानें नागाओं के बारे में सब कुछ

शरीर पर भस्म, हाथों में तीर-तलवार-त्रिशूल और श्रीमुख से हर-हर महादेव का उद्घोष। कुम्भ(Kumbh) में देवरूपी नागा संन्यासियों की यही पहचान है।

शरीर पर भस्म, हाथों में तीर-तलवार-त्रिशूल और श्रीमुख से हर-हर महादेव का उद्घोष। कुम्भ(Kumbh) में देवरूपी नागा संन्यासियों की यही पहचान है। पूस-माघ की ठिठुराती ठंड में कुम्भ की शान बनने के बाद पूरे साल ये संन्यासी कहां रहते हैं, क्या करते हैं? शायद बहुत कम लोग जानते हैं कि कुम्भ में श्रद्धालुओं पर अमृत वर्षा के बाद ये आम साधु संन्यासी की तरह पूजा-पाठ व जाप करते हैं या फिर हिमालय की कंदराओं और घने जंगलों में तप के लिए निकल जाते हैं। 

नागा साधुओं का कहना है कि सालभर दिगम्बर अवस्था में रहना समाज में संभव नहीं है। निरंजनी अखाड़े के अध्यक्ष महंत रवींद्रपुरी जो खुद भी पेशवाई के दौरान नागा रूप धारण करते हैं, कहते हैं कि समाज में आमतौर पर दिगम्बर स्वरूप स्वीकार्य नहीं है। पंजाब व उत्तराखंड में नागा संन्यासियों के साथ इस रूप में अभद्रता हो चुकी है। ऐसे में नागा संन्यासी सालभर या तो गमछा पहन कर रहते हैं या फिर आश्रमों के अंदर निवास करते हैं। नागा संन्यासी खेमराज पुरी भी यही कहते हैं। उनका कहना है कि पूरे साल दिगंम्बर अवस्था में रहना संभव नहीं है। कुम्भ के दौरान ही इस रूप में वे दिखते हैं। 

कुम्भ में ही दिगम्बर स्वरूप क्यों 
नागा संन्यासी बताते हैं कि दिगंबर शब्द दिग् व अम्बर के योग से बना है। दिग् यानी धरती और अम्बर यानी आकाश। आशय कि धरती जिसका बिछौना हो और अम्बर जिसका ओढ़ना। मान्यता है कि कुम्भ क्षेत्र में देवताओं का वास होता है और आकाश से अमृत वर्षा होती है इसीलिए नागा साधु अपने असली रूप में होते हैं। पहले नागा साधु अपने वास्तविक रूप में ही पूरे साल रहते थे लेकिन जैसे-जैसे नागा साधुओं की संख्या बढ़ने लगी आश्रमों में जगह कम होने लगी। इसलिए नागाओं को समाज में रहना पड़ता है। 

कैसे बनते हैं नागा साधु
नागा संन्यासी बनने के लिए वयस्क होना आवश्यक है। महंत रवींद्र पुरी का कहना है कि बाल्यकाल में बच्चे को अखाड़ा लेता है। इसके बाद वयस्क होने पर उसे गंगा की शपथ दिलाई जाती है कि वह परिवार में नहीं जाएगा और न ही विवाह करेगा। समाज से अलग रहेगा, ईश्वर भक्ति करेगा। उसके परिवार का पिंडदान कराया जाता है और उसका खुद का भी पिंडदान कराया जाता है। इसके बाद क्षौरकर्म कराकर संन्यास दीक्षा देते हैं, फिर वह नागा संन्यासी माना जाता है।

Sources :- livehindustan.com

दबंग भारत न्यूज़
दबंग भारत न्यूज़http://dabangbharat.com
About us “Dabangbharat एक प्रमुख हिंदी समाचार पोर्टल है जो राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय समाचारों की व्यापक और निष्पक्ष कवरेज प्रदान करता है। हम अपने पाठकों को उनके स्थान या भाषा कौशल की परवाह किए बिना स्पष्ट और संक्षिप्त तरीके से नवीनतम जानकारी प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। अनुभवी पत्रकारों की हमारी टीम सटीक और समय पर रिपोर्टिंग प्रदान करने के लिए समर्पित है, और हम हमेशा अपने पाठकों को शामिल करने के लिए नए तरीकों की तलाश में रहते हैं। चाहे आप ब्रेकिंग न्यूज़, गहन विश्लेषण, या बस अच्छी पढ़ाई की तलाश में हों, Dabangbharat हिंदी समाचार के लिए एकदम सही जगह है।”

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

लोकप्रिय

spot_img

Discover more from UP News |Hindi News | Breaking News

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading