जनवरी से मार्च वित्त वर्ष के वो महीने होते हैं जब वेतनभोगी वर्ग के सामने आयकर छूट पाने के लिए टैक्स प्लानिंग सबसे बड़ा मुद्दा होता है।
जनवरी से मार्च वित्त वर्ष के वो महीने होते हैं जब वेतनभोगी वर्ग के सामने आयकर छूट पाने के लिए टैक्स प्लानिंग सबसे बड़ा मुद्दा होता है। ज्यादा आय वाले वेतनभोगी आखिरी समय में निवेश के ऐसे विकल्प खोजते हैं जहां वे टैक्स बचा सकें। लेकिन समझदारी इसी में है कि समय रहते कर योग्य आय के अनुसार निवेश के विकल्प का चयन किया जाए। वित्तीय विशेषज्ञों के अनुसार, किसी भी निवेशक को सिर्फ टैक्स बचाने के लिए निवेश नहीं करना चाहिए। निवेश ऐसे माध्यम में करना चाहिए जहां टैक्स बचत के साथ शानदार रिटर्न भी प्राप्त हो।
सुकन्या समृद्धि से लें दोहरा लाभ
टैक्स चुकाने वाले वैसे लोग जिनकी बेटियां 10 साल से कम उम्र की हैं, उनके लिए सुकन्या समृद्धि योजना बचत का बेहतरीन विकल्प है। इस योजना पर अभी 8.5% की दर से ब्याज मिल रही है जो एफडी से काफी बेहतर है। इसमें 1.5 लाख रुपये तक निवेश कर टैक्स छूट लिया जा सकता है। योजना में निवेश पर मिलने वाला ब्याज भी टैक्स फ्री है होता है। वित्तीय विशेषज्ञों के अनुसार, सुकन्या समृद्धि योजना में निवेश लंबी अवधि के वित्तीय लक्ष्य पूरे करने के लिए सबसे बेहतर माध्यम है। इस खाते में रकम कैश, चेक, डिमांड ड्राफ्ट या किसी ऐसे माध्यम से भी जमा कराई जा सकती है, जिसे बैंक स्वीकार करता हो। इस खाता का लाभ टैक्स छूट पाने के साथ अपनी बेटी को उज्ज्वल भविष्य देने के लिए कर सकते हैं।
होम लाने से बड़ी राहत
आपका मकान केवल सिर ढकने के लिए छत ही नहीं देता बल्कि कर से बचने का रास्ता भी मुहैया कराता है। अगर आप किराए के घर में रहते हैं और वेतनभोगी हैं तो किराये पर कर छूट का दावा कर सकते हैं। अगर अपने होम लोन लेकर घर खरीदा है तो आयकर कानून के धारा 24बी और 80सी के तहत आयकर से छूट प्राप्त कर सकते हैं। आयकर की धारा सेक्शन 80सी के तहत हर साल मूलधन के भुगतान पर 1.5 लाख रुपये की राशि तक की टैक्स छूट मिलती है। वहीं धारा 24बी के तहत घर खरीदने के लिए होम लोन पर दो लाख रुपये तक टैक्स छूट ले सकते हैं।
जीवन बीमा पॉलिसी प्रीमियम
बहुत सारे लोग आयकर से बचने के लिए जीवन बीमा पॉलिसी खरीदते हैं। लेकिन वित्तीय विशेषज्ञों का कहना है कि अगर आप सिर्फ टैक्स बचाने के लिए पॉलिसी खरीद रहे हैं, तो यह सही नहीं है। आपको जीवन बीमा पर दूसरे निवेश माध्यमों के मुकाबले काम रिटर्न मिलता है। जीवन बीमा पॉलिसी खरीदने की बजाय निवेशक को टर्म प्लान लेना चाहिए। कम प्रीमियम में इसमें बड़ा कवर मिलता है। इसका भी प्रीमियम धारा 80सी के तहत टैक्स छूट दिलाता है।
बैंक में पांच साल की एफडी
आयकर की धारा 80 सी के तहत आयकर बचाने के लिए सावधि जमा योजना (एफडी)यह पुरानी और सबसे अच्छी निवेश योजना है। इस पर अभी बैंक 4.5% से 7.5% प्रतिवर्ष के बीच ब्याज दे रहे हैं। एफडी से प्राप्त होने वाले ब्याज पर कर चुकाना पड़ता है। टैक्स बचाने के लिए अगर आप एफडी में निवेश कर रहे हैं तो आपको 5 साल की लॉक-इन अवधि के लिए निवेश करना होगा। इससे कम अवधि के निवेश पर आप टैक्स छूट का लाभ नहीं ले पाएंगे। कई बैंक टैक्स सेविंग एफडी के लिए ऑनलाइन सुविधा उपलब्ध करवाते हैं। परिपक्वता के बाद राशि सीधे आपके बैंक खाते में आ जाती है।
बच्चों की पढ़ाई पर भी राहत
बच्चों की पढ़ाई की फीस के तहत दी जाने वाली ट्यूशन फीस धारा 80सी के तहत टैक्स छूट दिलाने के काम आती है। ये छूट सरकारी या प्राइवेट स्कूल, कॉलेज या संस्थान में जमा की गई ट्यूशन फीस पर ही मिलती है। निजी संस्थान या कोचिंग सेंटर और विदेश में पढ़ाई पर टैक्स छूट का फायदा नहीं लिया जा सकता है। यह छूट सिर्फ दो बच्चों की पढ़ाई तक ही सीमित होती है। बच्चो की फीस के जरिए 1.5 लाख रुपये तक की टैक्स छूट ली जा सकती है।
रिटायरमेंट सेविंग स्कीम
नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस) रिटायरमेंट सेविंग स्कीम है। एनपीएस सब्सक्राइबर्स आयकर अधिनियम की धारा 80 सीसीडी (1) के अंतर्गत कुल आय के 10 फीसद तक आयकर कटौती का दावा कर सकते हैं। और 80 सीसीई के अंतर्गत कुल 1.5 लाख रुपये की कर छूट का दावा कर सकते हैं। आयकर की धारा 80सीसीडी (1बी) के तहत अतिरिक्त 50,000 रुपये के छूट का दावा कर सकता है, यह 80 सीसीई से मिले लाभ से अलग होगा। इस तरह कोई व्यक्ति दो लाख रुपये तक का टैक्स छूट एनपीएस में निवेश कर प्राप्त कर सकता है।
सीनियर सिटिजन सेविंग स्कीम
वरिष्ठ नागरिकों के लिए सीनियर सिटिजन सेविंग स्कीम (एससीएसएस) आयकर एक बेहतर योजना है। सीनियर सिटिजन सेविंग स्कीम में फिलहाल 8.7 फीसद की दर से ब्याज मिल रहा है। इस स्कीम में किया जाने वाला निवेश आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80सी के अंतर्गत कर छूट के दायरे में आता है।
पब्लिक प्रोविडंट फंड
पब्लिक प्रोविडंट फंड (पीपीएफ) लंबी अवधि का एक लोकप्रिय निवेश विकल्प है। यह न सिर्फ सुरक्षित निवेश माना जाता है बल्कि इसमें बेहतर ब्याज भी मिलता है। साथ ही इसमें किया जाने वाला पूरा निवेश टैक्स फ्री होता है। पीपीएफ खाता पर सालाना आधार पर 7.6 फीसद की दर से ब्याज मिलता है। मिलने वाला ब्याज भी टैक्स फ्री होता है। परिपक्वता पर मिलने वाली रकम भी पूरी तरह टैक्स फ्री होता है।
ईएलएसएस पर दांव लगाएं
ईएलएसएस एक म्यूचुअल फंड की योजना है। इसका मुख्य उद्देश्य टैक्स बचाने के साथ ही अच्छा रिटर्न दिलाना है। निवेशक आयकर अधिनियम की धारा 80 सी के तहत 1.5 लाख रुपए तक के निवेश पर कर छूट प्राप्त कर सकते हैं। रिटर्न पर एक अप्रैल 2018 से लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगाने के बावजूद ये फंड रिटर्न के लिहाज से अच्छा है। ईएलएसएस से केवल एक लाख से अधिक का लाभ एलटीसीजी कर के तहत कर योग्य होगा। केवल 500 रुपये के न्यूनतम निवेश से कम आय वाले युवा भी ईएलएसएस फंड में निवेश कर सकते हैं।
निवेश माध्यम आयकर की धारा छूट की सीमा
पब्लिक प्रॉविडेंट फंड 80C 1.5 लाख रुपए
ईएलएसएस 80C 1.5 लाख रुपए
बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट 80C 1.5 लाख रुपए
वरिष्ठ नागरिक बचत योजना 80C 1.5 लाख रुपए
राष्ट्रीय बचत पत्र (एनएससी) 80C 1 लाख रुपए
नई पेंशन प्रणाली (एनपीएस) 80CCD 02लाख रुपए
इंश्योरेंस प्रीमियम 80C 1.5 लाख रुपए
होम लोन 24B 02 लाख रुपए
कर योग्य आय के स्लैब आयकर की दर और सेस
2.5 लाख रुपए तक 00%
2.5 से 5 लाख रुपए तक 05%+4% सेस
5 लाख से 10 लाख रुपए तक 20%+ 4% सेस
10 लाख रुपए से अधिक 30%+ 4% सेस
Sources :- livehindustan.com