जयपुर/ शशि मोहन: राजस्थान में सरकार बदल गई है. अब नई सरकार पिछली सरकार के कई कामों को बदलने तो कुछ को सुधारने की कोशिश करेगी. हालांकि, वहीं सरकार की आमदनी की बात करें तो अक्टूबर 2018 तक में इसमें भारी गिरावट आई है. जिस कारण वित्त सचिव ने भी एक सर्कुलर जारी करते हुए सख्त वित्तीय अनुशासन अपनाए जाने के निर्देश दिए हैं. अब ऐसी स्थिति में भले ही गहलोत सरकार बदलाव करने में सक्षम है लेकिन प्रदेश में होने वाले खर्चे पर नियंत्रण कर पाना एक बड़ी चुनौती है.
इस साल के शुरुआत में फरवरी के महीने में तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने अपने दूसरे कार्यकाल का पांचवा और अंतिम बजट पेश किया था. तब राजे के मन में यही चल रहा होगा कि यह बजट उनके लिए एक बार फिर से सत्ता में लौटने का रास्ता तैयार करेगा. सरकार और सत्ताधारी पार्टी ने कोशिश काफी की, लेकिन ऐसा हो नहीं हुआ. वसुंधरा राजे ने 1.69 लाख करोड़ का बजट पेश किया था. इस बजट में किसानों का 50 हजार रुपये तक का कर्ज माफ करने का भी ऐलान किया था. साथ ही इस बजट में नए टैक्स भी नहीं लगाए गए थे. सरकार ने पूरी तरह चुनावी बजट तो पेश किया था लेकिन इसी के साथ प्रदेश में आर्थिक अनुशासन टूटने की भूमिका भी तैयार हो गई थी.
वसुंधरा राजे अपनी दोनों सरकारों में वित्त मंत्री की भूमिका में भी रहीं और दूसरे कार्यकाल में तो उन्होंने वित्तीय अनुशासन के लिए खुद की सरकार की पीठ खुद ही खूब छपाई लेकिन अब वित्त विभाग में जो सर्कुलर जारी किया गया है उसे देखें तो कोई भी वित्त मंत्री कांप उठेगा. दरअसल, वित्त सचिव ने एक सर्कुलर जारी करते हुए सख्त वित्तीय अनुशासन अपनाए जाने के निर्देश दिए हैं.
इस सर्कुलर में महालेखाकार से मिले अकाउंट्स का हवाला देते हुए कहा गया है कि राजस्व घाटा काफी बढ़ गया है. इस सर्कुलर में लिखा है कि 5454.84 करोड़ रुपए के राजस्व घाटे का अनुमान लगाया गया था, लेकिन अक्टूबर 2018 तक यह रकम 11 हजार 828.47 करोड़ रुपए तक पहुंच चुकी है. इसी तरह बजट अनुमान में 28 हजार 11.20 करोड़ के राजकोषीय घाटे का आकलन किया गया था लेकिन अक्टूबर तक ही यह घाटा 24 हजार 557.58 करोड़ रुपए हो चुका है.
सर्कुलर में यह भी लिखा गया है कि पिछले साल यानी अक्टूबर 2017 तक राजस्व घाटा 836.07 करोड़ रुपए और राजकोषीय घाटा 8669.34 करोड़ रुपए हुआ था. वित्त सचिव ने प्रदेश के खर्च में बढ़ोतरी और रेवेन्यू आमदनी में बड़ी कमी पर भी चिंता जताई है. अभी प्रदेश के राजकोष के हालात की बात करें तो राजस्व खर्च में वृद्धि दर 35.17 फ़ीसदी की रही है जबकि राजस्व आय में बढ़ोतरी महज 18.26 फीसदी ही हुई है.
वित्त विभाग ने ऐसे हालात पर चिंता जताई है और चालू वित्त वर्ष की आखिरी तिमाही में खर्चों में कटौती करने के निर्देश दिए हैं. वित्त सचिव का कहना है कि राजकोषीय मानकों और राज्य की वित्तीय स्थिति पर गलत प्रभाव किसी भी हालत में नहीं पड़ना चाहिए.
संभवतः मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भी प्रदेश की खराब वित्तीय स्थिति का अंदाजा था. इसलिए शपथ ग्रहण से एक दिन पहले ही उन्होंने इस बात का अंदेशा जता दिया था. गहलोत ने कहा था कि उनकी सरकार के सामने चुनौती बड़ी है और उससे निपटेंगे भी, लेकिन साथ ही वे उन्होंने यह भी कहा था कि अगर वसुंधरा राजे चाहतीं तो अच्छा काम वो भी कर सकती थीं.
संभवतः मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भी प्रदेश की खराब वित्तीय स्थिति का अंदाजा था. इसलिए शपथ ग्रहण से एक दिन पहले ही उन्होंने इस बात का अंदेशा जता दिया था. गहलोत ने कहा था कि उनकी सरकार के सामने चुनौती बड़ी है और उससे निपटेंगे भी, लेकिन साथ ही वे उन्होंने यह भी कहा था कि अगर वसुंधरा राजे चाहतीं तो अच्छा काम वो भी कर सकती थीं.
Source :- Zee News Hindi