Wednesday, January 22, 2025
Homeराजनीतिचुनावी बांड के जरिए पार्टियों को कौन दे रहा चंदा, नाम के...

चुनावी बांड के जरिए पार्टियों को कौन दे रहा चंदा, नाम के साथ ब्यौरा दें : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को चुनावी बांड के जरिये दलों को चंदा देने पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। साथ ही दलों को 30 मई तक बांड से मिले चंदे की रसीद और दानकर्ताओं की पहचान का विवरण सीलबंद लिफाफे में चुनाव आयोग को सौंपने का निर्देश दिया। .

मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की पीठ ने अपने अंतरिम आदेश में कहा कि वह चुनावी बांड योजना के अनुरूप कानूनों को लाने के मकसद से आयकर कानून, जनप्रतिनिधित्व कानून, कंपनी एक्ट, आरबीआई एक्ट और वित्त कानून आदि में किए गए संशोधनों पर विस्तार से विचार करेगी। वह यह सुनिश्चित करेगी कि किसी एक दल की ओर इसका झुकाव न हो। .

बांड खरीद अवधि घटाई : कोर्ट ने वित्त मंत्रालय को चुनावी बांड खरीदने की अवधि अप्रैल-मई में 10 दिन से घटाकर पांच दिन करने का निर्देश दिया। साथ ही बांड खरीदने की अवधि जनवरी तथा अप्रैल में पांच दिन और चुनावी वर्ष में 30 दिन बढ़ाने के लिए जारी अधिसूचना में बदलाव करने को कहा। कोर्ट ने कहा कि गैरसरकारी संगठन की याचिका का अंतिम निपटारा करने की तारीख बाद में तय की जाएगी।.

केंद्र की दलील खारिज : पीठ ने केंद्र की इन दलीलों को ठुकरा दिया कि उसे इस समय चुनावी बांड योजना में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए और चुनाव के बाद इसकी विवेचना करनी चाहिए। दानदाताओं के नाम गोपनीय रखने पर सरकार ने तर्क दिया था कि दूसरी पार्टी की सरकार आने पर उन्हें परेशान किया जा सकता है। .

क्या है चुनावी बांड ?

चुनावी बांड विभिन्न मूल्यों का ‘वचनपत्र’ होता है जिसे कोई भी भारतीय नागरिक , देश में मौजूद प्रतिष्ठान निर्धारित बैंक शाखा से खरीद कर पार्टियों को दान कर सकता है। पार्टी को इसे दस दिन में अधिकृत शाखा से भुनाना होता है।

क्यों योजना आई? 

केंद्र सरकार की दलील है कि 2011 से लेकर 2014 तक चुनाव में खर्च राशि का कोई हिसाब नहीं था। विधायक के चुनाव में 46 फीसदी और सांसद के चुनाव में 43 फीसदी पैसा काला होता था।

कौन कर रहा विरोध – 
एनजीओ एडीआर और माकपा ने चुनावी बांड की वैधानकिता को चुनौती दी है। साथ ही योजना पर रोक या दानकर्ता की पहचान बताने की मांग की है।


किसे होगा बांड का लाभ-
जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 29ए के तहत पंजीकृत दल जिन्हें चुनाव में एक फीसदी से अधिक मत मिले हैं, वे बांड के जरिये दान ले सकते हैं।

एडीआर का आरोप –

  • 95% बांड की राशि भाजपा को मिली
  • 10 लाख और एक करोड़ के बांड ज्यादा बिके
  • 2013 कंपनी एक्ट में बदलाव गलत

Source :- www.livehindustan.com

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Must Read

spot_img

Discover more from UP News |Hindi News | Breaking News

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading