Sunday, March 23, 2025
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यूपी में समाजवादी पार्टी ने BJP को घेरने के लिए उसी की तर्ज पर बनाई ये ‘रणनीति’

लोकसभा चुनाव में पूर्वांचल में भारतीय जनता पार्टी (BJP) को घेरने के लिए समाजवादी पार्टी ने उसी की तर्ज पर रणनीति बनाई है।

लोकसभा चुनाव में पूर्वांचल में भारतीय जनता पार्टी (BJP) को घेरने के लिए समाजवादी पार्टी ने उसी की तर्ज पर रणनीति बनाई है। सपा ने बसपा, रालोद गठबंधन में पूर्वांचल की दो पार्टियों को अपने साथ ले लिया है। यह दल निषाद पार्टी और जनवादी पार्टी (सोशलिस्ट) हैं। भाजपा ने 2014 के लोकसभा और 2017 के विधानसभा चुनाव में अलग-अलग इलाकों में छोटे-छोटे दलों से गठजोड़ किया था। 

ये दल छोटे जरूर हैं, लेकिन पूर्वांचल के कुछ इलाकों में अपना असर रखते हैं। निषाद पार्टी का मल्लाह, निषाद, केवट बिंद, कश्यप जैसी अति पिछड़ी जातियों में असर है। इस पार्टी की अहमियत इसी से समझी जा सकती है कि सपा ने इसका समर्थन लेकर गोरखपुर जैसी प्रतिष्ठापूर्ण लोकसभा सीट का उपचुनाव जीत लिया था। गोरखपुर के अलावा आजमगढ़, गाजीपुर, मऊ, महाराजगंज, फैजाबाद आदि सीटों पर इनका खासा असर माना जाता है। निषाद पार्टी के संजय निषाद के बेटे प्रवीण निषाद को सपा ने अपने सिंबल से गोरखपुर लोकसभा सीट जिताई थी। प्रवीण फिर सपा के सिंबल साइकिल पर गोरखपुर से लड़ेंगे। इसके अलावा सपा निषाद पार्टी को एक और सीट (संभवत: महाराजगंज) दे सकती है।

यहां समझने की बात यह भी है कि गोरखपुर उपचुनाव में पीस पार्टी ने सपा प्रत्याशी को समर्थन दिया था। तब पीस पार्टी, निषाद पार्टी गठबंधन सपा के साथ था। इस बार जब पीस पार्टी को सपा से तवज्जो नहीं मिली तो उसके मुखिया डॉ. अयूब अंसारी ने शिवपाल यादव की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी से गठबंधन कर लिया और अब गठबंधन में 19 सीटों पर लड़ेगी। डॉ. संजय निषाद कई साल से निषाद वर्ग को एकजुट करने में जुटे हैं। हालांकि, अखिलेश यादव के मुख्यमंत्रित्वकाल में संजय निषाद ने निषादों को अनुसूचित जाति वर्ग में शामिल कराने के लिए पूर्वांचल में बड़ा आंदोलन किया था। यह हिंसक आंदोलन सपा सरकार के लिए किरकिरी बना था। बाद में गोरखपुर उपचुनाव में यह पार्टी सपा के नजदीक आ गई। निषाद पार्टी की स्थापना संजय निषाद ने साल 2013 में की थी। निषाद पार्टी का पूरा नाम, निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल है।

अब बात जनवादी पार्टी सोशलिस्ट की। इस पार्टी के अध्यक्ष डॉ. संजय चौहान का चौहान बिरादरी में खासा असर माना जाता है। पूर्वांचल के चौहान बिरादरी के बीच यह पार्टी काम करती है और पिछड़ों, अति पिछड़ों व दलितों के हक की मांग उनकी आबादी के हिसाब से करती है। सपा मुखिया अखिलेश यादव काफी समय से इस पार्टी के संपर्क में हैं। अखिलेश यादव ने पिछले साल वाराणसी में जनवादी पार्टी की रैली में शामिल होकर चौहान वर्ग और अति पिछड़ा वोट बैंक को साधने की कोशिश की थी। सम्राट पृथ्वीराज चौहान पर श्रद्धा रखने वाली जनवादी सोशलिस्ट पार्टी की इस इस रैली में अखिलेश ने कहा था कि देश का नक्शा कुछ और होता अगर सम्राट पृथ्वीराज चौहान के साथ धोखा न होता। भाजपा ने जनवादी पार्टी के साथ 2012 के विधानसभा चुनाव में कुछ सीटों पर समझौत किया था।

Source :- www.livehindustan.com

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