पीएम नरेंद्र मोदी ने बुधवार को राष्ट्र के नाम संदेश में भारत का अपना स्वदेश विकसित एंटी सैटेलाइट सिस्टम राष्ट्र को समर्पित किया।
पीएम नरेंद्र मोदी ने बुधवार को राष्ट्र के नाम संदेश में भारत का अपना स्वदेश विकसित एंटी सैटेलाइट सिस्टम राष्ट्र को समर्पित किया। A-SAT काफी उन्नत तकनीक की प्रणालि है, जो अंतरिक्ष में किसी भी देश की सैन्य ताकत को दर्शाती है। आइए इन 5 point में जानें इस सिस्टम के बारे में
1. यह अंतरिक्ष में इस्तेमाल किए जाने वाले हथियार हैं, जिन्हें मुख्य रूप से रणनीति सैन्य गतिविधियों के लिए इस्तेमाल होने वाली दुश्मन देशों की सैटेलाइट को नष्ट करने के लिए किया जाता है।
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2. वर्तमान में A-SAT सिस्टम अमेरिका, चीन और रूस के पास उपलब्ध हैं। आज A-SAT के परीक्षण के साथ ही भारत इस कतार में चौथा देश बन गया है।
3. अमेरिका ने 1950 में सबसे पहले इस तरह का हथियार विकसित किया। 1960 में रूस ने भी इस तरह का हथियार विकसित किया। 1963 अमेरिका ने अंतरिक्ष में जमीन से छोडे़ हुए एक परमाणु विस्फोट का परीक्षण किया, लेकिन इस परीक्षण की वजह से अमेरिका और रूस की कई सैटेलाइट खराब हो गई थीं। इसके बाद 1967 में आउटर स्पेस ट्रीटी में तय किया गया कि अंतरिक्ष में किसी तरह के विस्फोटक हथियारों को तैनात नहीं किया जाएगा।
4. भारत के अलावा इजरायल A-SAT सैटेलाइट विकसित करने की प्रक्रिया में है। डीआरडीओ के डायरेक्टर जनरल डॉ. वी.के. सारस्वत ने 2010 में एक कार्यक्रम के दौरान कहा था कि उसके पास A-SAT विकसित करने के सभी जरूरी चीजें उपलब्ध हैं। इजरायल की एरो 3 या हत्ज 3 एंटी बैलिस्टिक मिसाइल है, जिसे कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि वह एंटी सैटेलाइट के तौर पर इस्तेमाल कर सकता है।
5. अमेरिका का 80 फीसदी से भी ज्यादा कम्यूनिकेशन और नैविगेशन सिस्टम सैटेलाइट पर आधारित है। इनके जरिये वह पूरी दुनिया पर नजर रखता है। इस तरह की सैटेलाइट विकसित करने की जरूरत इन सैटेलाइट की सुरक्षा करने के लिए जरूरी है। हालांकि अब तक किसी युद्ध में A-SAT सिस्टम का इस्तेमाल नहीं किया गया है। कई देशों ने अपने ही बेकार हो चुके सैटेलाइट को मार गिराने के लिए इनका परीक्षण किया है। इनमें चीन भी शामिल है।
Source :- www.livehindustan.com