- लोगों ने ट्रेन के कई नाम सुझाए थे, मोदी से आग्रह करेंगे कि इसे जल्दी हरी झंडी दिखाएं-गोयल
- दिल्ली से बनारस के बीच 160 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ेगी मेड इन इंडिया ट्रेन
नई दिल्ली. 30 साल पुरानी शताब्दी एक्सप्रेस की जगह लेने जा रही ट्रेन 18 का नाम वंदे भारत एक्सप्रेस रखा गया है। रेल मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि ट्रेन के लिए लोगों ने कई नाम सुझाए थे। उनका कहना था कि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आग्रह करेंगे कि इसे जल्दी हरी झंडी दिखाएं। भारत में बनी यह ट्रेन दिल्ली से बनारस के बीच 160 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ेगी।
97 करोड़ की लागत से 18 माह में बनी है ट्रेन-गोयल
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- पीयूष गोयल ने बताया कि यह ट्रेन 97 करोड़ की लागत से 18 माह में बनी है। चेन्नई की कोच फैक्ट्री में बनी ट्रेन 18 ने गतिमान का रिकॉर्ड तोड़ा था, जो 160 किमी/घंटा की रफ्तार से चल सकती है। ट्रायल रन में ट्रेन 18 ने 180 किमी/घंटा की रफ्तार पार की थी।
- पूरी तरह से वातानुकूलित ट्रेन में 16 कोच होंगे। इसमें दो एग्जीक्यूटिव चेयर कार होंगी। यह ट्रेन दिल्ली से बनारस के सफर में केवल कानपुर और इलाहाबाद में रुकेगी।
- पीयूष गोयल का कहना है-भारत की पहली इंजन रहित ट्रेन को भारतीय इंजीनियर्स ने तैयार किया है। यह एक नायाब नमूना है कि मेक इन इंडिया के तहत किस तरह से वर्ल्ड क्लास ट्रेनें तैयार की जा सकती हैं।
- 8 घंटे में तय करेगी करीब 800 किमी की दूरीशुरुआती योजना के मुताबिक, ट्रेन 18 दिल्ली से सुबह 6 बजे चलेगी और दोपहर 2 बजे वाराणसी पहुंचेगी। यह ट्रेन करीब 800 किमी की दूरी 8 घंटे में तय करेगी। यह दिल्ली के लिए दोपहर 2:30 बजे लौटेगी और यहां रात 10:30 बजे पहुंचेगी।
- 2 दिसंबर को ट्रेन 18 का ट्रायल रन कोटा-सवाई माधोपुर सेक्शन में किया गया था। इस दौरान ट्रेन ने 180 किमी/घंटा की रफ्तार पार की थी।
- ट्रायल रन के बाद अधिकारियों ने कहा था कि यह ट्रेन 200 किमी/घंटा की रफ्तार तक पहुंच सकती है। यह मेक-इन-इंडिया के तहत शुरू हुई परियोजनाओं में से अहम है।
- अधिकारियों के मुताबिक, भारत में ट्रेन 18 का निर्माण होने की वजह से इसकी लागत घटी है। रफ्तार की वजह से यात्रा का समय 10-15% तक घट जाएगा।
- ट्रेन 18 में 360 डिग्री तक घूमने वाली सीटें हैं। एडवांस ब्रेकिंग सिस्टम है, जिससे ऊर्जा की बचत होती है। एयरोडायनैमिक डिजाइन वाले ड्राइवर केबिन ट्रेन के दोनों सिरों पर लगाए गए हैं, ताकि मंजिल तक पहुंचने के बाद ये तुरंत वापस लौट सकें।
Sources :- bhaskar.com