नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव नजदीक आ गया है. विपक्ष बेरोजगारी के मुद्दे पर लगातार सरकार को घेर रही है.
नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव नजदीक आ गया है. विपक्ष बेरोजगारी के मुद्दे पर लगातार सरकार को घेर रही है. तमाम राजनीतिक और आर्थिक एक्सपर्ट का कहना है कि बेरोजगारी के मुद्दे पर सरकार को गंभीर होने की जरूरत है. बेरोजगारी देश की सबसे बड़ी समस्या है. अगर समय रहते रोजगार के अवसर नहीं सृजन किए गए तो अर्थव्यवस्था के लिए ये खतरनाक साबित हो सकता है. ऐसे में EPFO की तरफ से सरकार को राहत भरी खबर मिली है.
- जिलाधिकारी द्वारा की गयी रबी विपणन वर्ष हेतु गेहूं खरीद के संदर्भ में समीक्षा
- आग लगने से 50 एकड़ से अधिक फसल जल कर राख
- सड़क में गड्ढे ही गड्ढे,आए दिन हो रहे हैं दुर्घटनाएं
- केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री व भाजपा जिलाध्यक्ष ने पुरैना में महावीर फ्लोर मिल का किया उद्घाटन
- देशी शराब की दुकान खोले जाने पर जनता में भारी आक्रोश
ईपीएपओ (EPFO) की डेटा के मुताबिक पिछले 15 महीने में करीब 73 लाख लोगों को नौकरी मिली है. केवल नवंबर (2018) महीने में 7.32 लाख लोगों को नौकरी मिली है. उस महीने में जॉब क्रियेशन रेट 48 फीसदी रही थी. बात अगर नवंबर 2017 की करें तो केवल 4.93 लाख लोगों को नौकरी मिली थी. EPFO की पेरोल डेटा के मुताबिक सितंबर 2017 से नवंबर 2018 के बीच 73.5 लाख लोगों को नौकरी मिली है.
रिपोर्ट के मुताबिक अक्टूबर 2018 के लिए जो अनुमान जारी किए गए थे, उससे कम लोगों को नौकरी मिली. अनुमान 8.27 लाख था, लेकिन नौकरी केवल 6.66 लाख लोगों को ही मिली. सितंबर 2017 से अक्टूबर 2018 के बीच जितनी नौकरी का अनुमान लगाया गया था उससे करीब 16.4 फीसदी कम नौकरियां पैदा हुईं.
अनुमानित आंकड़ा 79.16 लाख था, लेकिन 66.18 लाख नौकरी ही पैदा हो पाई. इस डेटा को लेकर EPFO का कहना है कि जितने नए लोगों का रजिस्ट्रेशन हुआ, उनके आधार इसे तैयार किया गया है.
Sources :- zeenews.india.com