आर्टिकल-14 : समानता का अधिकार
लोकसभा में सोमवार को नागरिकता संशोधन बिल पर चर्चा के दौरान पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी बहस देखने को मिली। हालांकि करीब आधी रात में यह विधेयक पास हो गया। मगर इससे पहले पक्ष और विपक्ष के करीब 48 सांसदों ने अपनी-अपनी बात रखी। इस दौरान तीन शब्द बार-बार आए। आर्टिकल-14, आर्टिकल-21 और आर्टिकल-25।विपक्ष के नेताओं ने इन अनुच्छेदों का हवाला देते हुए विधेयक को गैर संवैधानिक बताया। जबकि केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने पलटवार करते हुए कहा कि नागरिकता संशोधन विधेयक किसी भी तरह से आर्टिकल-14, 21 और 25 का उल्लंघन नहीं करता है। बहस सुनने के बाद हर किसी ने जानना चाहा कि आखिर ये आर्टिकल क्या है? आइए हम आपको विस्तार से बताते हैं इनके बारे में…
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आर्टिकल-14 : समानता का अधिकार
राज्य, भारत के राज्यक्षेत्र में किसी व्यक्ति को कानून के समक्ष समता से या कानून के समान संरक्षण से वंचित नहीं करेगा।’
भारतीय संविधान में अनुच्छेद-14 की यही परिभाषा है। इसका मतलब हुआ कि सरकार भारत में किसी भी व्यक्ति के साथ भेदभाव नहीं करेगी।
भारतीय संविधान के भाग-3 समता का अधिकार में अनुच्छेद-14 के साथ ही अनुच्छेद-15 जुड़ा है। इसमें कहा गया है, ‘राज्य किसी नागरिक के खिलाफ सिर्फ धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग, जन्मस्थान या इनमें से किसी के आधार पर कोई भेद नहीं करेगा।’
विपक्ष का यही कहना है कि नागरिकता संशोधन बिल धर्म के आधार पर लाया गया है। इसमें एक खास धर्म के लोगों के साथ भेदभाव किया जा रहा है, जो अनुच्छेद-14 का उल्लंघन है। हालांकि केंद्र सरकार ने इससे इनकार किया है।
आर्टिकल-21 : सुरक्षा व आजादी का अधिकार
कानून द्वारा तय प्रक्रिया को छोड़कर किसी भी व्यक्ति को जीने के अधिकार या आजादी के अधिकार से वंचित नहीं रखा जाएगा।
यह भारत के नागरिक के मूलभूत अधिकारों में से एक है।
आर्टिकल-25 : धार्मिक स्वतंत्रता
संविधान का आर्टिकल-25 देश के सभी नागरिकों को धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार देता है। इसके तहत प्रत्येक नागरिक को धर्म को अबाध रूप से मानने, आचरण करने और प्रचार करने का समान अधिकार होगा।