1909 में मनाया गया था पहला महिला दिवस
दुनिया के हर क्षेत्र में महिलाओं के प्रति सम्मान, प्रशंसा और प्यार प्रकट करते हुए उनकी हर क्षेत्र में स्थापित उपलब्धियों को याद किया जाता है अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर और साथ ही उनके प्रतिआभार भी होता है प्रकट। हर साल 8 मार्च को ही अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है लिहाज़ा आज ये दिन सेलिब्रेट किया जा रहा है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसके पीछे कारण क्या है। क्या इतिहास है इस दिन..क्यों इस दिन मनाने की मांग उठी और कैसे हुई इसकी शुरूआत। चलिए आपको बताते हैं कि क्यों 8 मार्च को ही मनाया जाता है महिला दिवस और क्यों हुई थी इस दिन को मनाने की शुरूआत।
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1909 में मनाया गया था पहला महिला दिवस
कहा जाता है कि सबसे पहला महिला दिवस अमेरिका के न्यूयॉर्क में 1909 में मनाया गया था। जिस का आह्वाहन अमेरिका की सोशलिस्ट पार्टी ने किया था। 1910 में सोशलिस्ट इंटरनेशनल के कोपेनहेगन सम्मेलन में अंतरराष्ट्रीय दर्जा हासिल हुआ। इस सम्मेलन में 17 देशों की 100 महिला प्रतिनिधि हिस्सा लेने पहुंची थी। इसके बाद 1911 में 19 मार्च को कई देशों ने इस दिन को मनाया। लेकिन इसे आधिकारिक दर्जा मिला प्रथम विश्व युद्ध के दौरान यानि 1917 में
1917 में हुई अधिकारिक घोषणा
इतिहास की माने तो 1917 में रूस की महिलाओं ने एक आंदोलन छेड़ दिया। महिला दिवस पर रोटी और कपड़े के लिये हड़ताल पर जाने का फैसला किया। ये हड़ताल भी इतनी असरदार रही कि ज़ार ने सत्ता छोड़ी और महिलाओं को वोट देने का अधिकार मिला। कहा जाता है कि उन दिनों रूस में जुलियन कैलेंडर चलता था जबकि बाकि दुनिया में ग्रेगेरियन कैलेंडर। इन दोनों की तारीखों में कुछ अन्तर होता है। जुलियन कैलेंडर के मुताबिक 1917 की फरवरी का आखिरी इतवार 23 फ़रवरी को था जब की ग्रेगेरियन कैलैंडर के अनुसार उस दिन 8 मार्च थी। यही कारण था कि हर साल 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने की अधिकारिक घोषणा कर दी गई।
1) नारी दुर्गा और नारी ही मां काली
नारी ही तो है मां- ममत्व देने वाली
नारी कोमल तो कहीं नारी कठोर
इस नारी के बिन नर का नहीं कोई छोर।
2) नारी का इस संसार में मान है
वो बहन वो बेटी और वो ही मां है
उसके बगैर ये दुनिया कुछ नहीं है।
3) ढेरों फूल चाहिए- माला तब बनती है
ढेरों दीप चाहिए- आरती तब सजती है
एक नारी है अकेली ही काफी है
घर को स्वर्ग बनाने के लिए।
4) जब पुरुष महिला से प्रेम करता है
तो वो जिंदगी का बहुत छोटा हिस्सा देता है
जब नारी प्रेम करती है तो
पूरा जीवन ही समर्पित कर देती है।
5) कोई भी राष्ट्र प्रतिष्ठा के शिखर पर
तब तक नहीं पहुंच सकता
जब तक उस देश की नारी शक्ति
कंधे से कंधा मिलाकर ना चले।
Source :- www.bhaskar.com