घरेलू शेयर बाजार में गिरावट थमने का नाम नहीं ले रही है. इस महीने में सेंसेक्स-निफ्टी 3.5 फीसदी तक टूट गए है.ऐसे में म्यूचुअल फंड्स में लगे लोगों का एक ओर तो मुनाफा घट गया है. आइए जानें एक्सपर्टस की सलाह…
घरेलू शेयर बाजार में गिरावट थमने का नाम नहीं ले रही है. इस महीने में सेंसेक्स-निफ्टी 3.5 फीसदी तक टूट गए है. ऐसे में म्यूचुअल फंड्स में लगे लोगों का एक ओर तो मुनाफा घट गया है वहीं, दूसरी ओर कुछ लोगों को नुकसान भी हो रहा है. अब सवाल उठता है कि ऐसे में निवेशकों को क्या करना चाहिए. इस पर एक्सपर्ट्स साफ कहते हैं कि शेयर बाजार कि गिरावट से बिल्कुल भी घबराना नहीं चाहिए. निवेशकों को चाहिए कि वह बाजार की गिरावट से बिना घबराएं एसआईपी के जरिए निवेश से एवरेजिंग से फायदा लेते रहें. एसआईपी के निवेश का बाजार के उतार-चढ़ाव का असर कम होता है. हालांकि लक्ष्य हासिल करने के लिए निवेश में अनुशासन जरूरी है. एसआईपी का निवेश से लंबी अवधि में फायदा मिलता है. निवेशक अपने लक्ष्य को निवेश से जोड़ें.
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आपको बता दें कि एसआईपी में निवेशक हर महीने या हर तिमाही में तय तारीख को तय रकम लगाते हैं. यह बैंक के रेकरिंग डिपॉजिट की तरह है. पिछले दो साल में कई लोगों ने पहली बार एसआईपी के जरिये इक्विटी म्यूचुअल फंड में पैसा लगाना शुरू किया था.
अब क्या करें निवेशक
>> मोतीलाल ओसवाल एएमसी के एमडी और सीईओ, आशीष सोमैय्या का कहना है कि मौजूदा माहौल में भूलकर भी एसआईपी को बंद नहीं करना चाहिए. लंबी अवधि में एसआईपी के जरिए किए गए निवेश का अच्छा फायदा जरूर मिलेगा.
>> आशीष सोमैय्या ने कहा कि इंश्योरेंस सेक्टर पर दांव लगाने का अच्छा मौका नजर आ रहा है. साथ ही प्राइवेट सेक्टर बैंकों पर भी फोकस किया जा सकता है. हालांकि सरकारी तेल कंपनियों से अभी दूर रहने की ही सलाह होगी.
>> वाइसइन्वेस्ट एडवाइजर्स के सीईओ हेमंत रुस्तगी का कहना है कि अगर एसआईपी नेगेटिव रिटर्न दे रहा है तो इसका मतलब यह हुआ कि आप डाउन मार्केट में सस्ते दाम में ज्यादा यूनिट्स खरीद रहे हैं. यहीं वह समय होता है, जब कम दाम में रियल कॉस्ट एवरेजिंग की जा सकती है.
>> अगर आप समझदारी दिखाते हैं और एसआईपी जारी रखते हैं तो मार्केट में रिकवरी होने पर आपको एसआईपी का असल फायदा दिखेगा.
>> म्यूचुअल फंड्स में पहली बार निवेश करने वालों में कई लोग SIP के जरिए निवेश करते है. ये बैंक डिपॉजिट जैसे ट्रेडिशनल फिक्स्ड रिटर्न प्रॉडक्ट्स से वेरिएबल रिटर्न देने वाले इक्विटी प्रॉडक्ट्स की तरफ शिफ्ट हो रहे हैं इसलिए डिस्ट्रीब्यूटर्स मानते हैं कि एसआईपी के जरिए निवेश करने से वोलैटिलिटी का असर कम होगा.
>> नोटबंदी के बाद निवेशकों ने अपना पैसा फिजिकल ऐसेट्स से निकालकर फाइनैंशल सेविंग्स में शिफ्ट करना शुरू कर दिया था. इन लोगों को म्यूचुअल फंड का एसआईपी काफी पसंद आया क्योंकि इसमें बैंक अकाउंट से हर महीने तय रकम डेबिट कराने का निर्देश दिया जा सकता है. इस तरह निवेशक को हर महीने चेक नहीं जारी करना होता है.
Source :- hindi.news18.com