नई दिल्ली । 70वें गणतंत्र दिवस की तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं। प्रत्येक वर्ष की तरह, आज (23 जनवरी) को गणतंत्र दिवस परेड की फुल ड्रेस रिहर्सल हुई।
नई दिल्ली । 70वें गणतंत्र दिवस की तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं। प्रत्येक वर्ष की तरह, आज (23 जनवरी) को गणतंत्र दिवस परेड की फुल ड्रेस रिहर्सल हुई। गणतंत्र के इस राष्ट्रीय महापर्व को लेकर राजपथ के जर्रे-जर्रे को सजाया जा रहा है। गणतंत्र का इतिहास जितना पुराना और रोचक है, उतना ही रोचक सफर है इसकी परेड के आयोजन का। भारत के इस शौर्य और पराक्रम के पल का साक्षी बनने के लिए प्रत्येक वर्ष राजपथ से लेकर लाल किले तक लाखों लोगों की भीड़ जुटती है। पूरे रास्ते लोग तालियों और देशभक्ति के नारों से परेड में शामिल जाबांजों की हौसलाअफजाई करते हैं। पर क्या आपको पता है कि गणतंत्र दिवस की शुरुआती परेड राजपथ पर नहीं हुआ करती थीं? हम आपको बताते हैं परेड से जुड़े 13 रोचक तथ्य।
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1. गणतंत्र दिवस की भव्य परेड देखने के लिए 26 जनवरी के मौके पर राजपथ से लेकर लाल किले तक के परेड मार्ग पर प्रत्येक वर्ष दो लाख से ज्यादा लोगों की भीड़ जुटती है। इसमें राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री से लेकर आम और खास सभी शामिल होते हैं।
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2. केंद्र सरकार द्वारा इस मौके पर प्रत्येक वर्ष भारत समेत कई राष्ट्रों से अतिथियों को विशेष तौर पर आमंत्रित किया जाता है। खास बात ये है कि भीषण ठंड के बावजूद लोग सुबह चार-पांच बजे से ही परेड देखने के लिए पहुंचने लगते हैं।
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3. वर्ष 2015 में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा भी भारत के गणतंत्र दिवस परेड के साक्षी बन चुके हैं। बराक ओबामा अमेरिकन राष्ट्रपति के इतिहास में पहली बार इतने लंबे समय के लिए राजपथ पर खुले आसमान के नीचे होने वाले सार्वजनिक कार्यक्रम में शामिल हुए थे।
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4. 26 जनवरी पर गणतंत्र दिवस परेड की शुरूआत 1950 में आजाद भारत का संविधान लागू होने के साथ हुई थी। वर्ष 1950 से 1954 तक गणतंत्र दिवस की परेड राजपथ पर न होकर, चार अलग-अलग जगहों पर हुई थीं। 1950 से 1954 तक गणतंत्र दिवस परेड का आयोजन क्रमशः इरविन स्टेडियम (नेशनल स्टेडियम), किंग्सवे, लाल किला और रामलीला मैदान में हुआ था।
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5. 1955 से गणतंत्र दिवस परेड का आयोजन राजपथ पर शुरू किया गया। तब राजपथ को ‘किंग्सवे’ के नाम से जाना जाता था। तभी से राजपथ ही इस आयोजन की स्थाई जगह बन चुका है।
6. गणतंत्र दिवस समारोह में हर साल किसी न किसी देश के प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति या शासक को विशेष अतिथि के तौर पर सरकार द्वारा आमंत्रित किया जाता है। 26 जनवरी 1950 को पहले गणतंत्र दिवस समारोह में इंडोनेशिया के राष्ट्रपति डॉ. सुकर्णो विशेष अतिथि बने थे।
7. 26 जनवरी 1955 में राजपथ पर आयोजित पहले गणतंत्र दिवस समारोह में पाकिस्तान के गवर्नर जनरल मलिक गुलाम मोहम्मद विशेष अतिथि बने थे।
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8. गणतंत्र दिवस समारोह की शुरूआत राष्ट्रपति के आगमन के साथ होती है। राष्ट्रपति अपनी विशेष कार से, विशेष घुड़सवार अंगरक्षकों के साथ आते हैं। ये घुड़सवार अंगरक्षक राष्ट्रपति के काफिले में उनकी कार के चारों तरफ चलते हैं।
9. राष्ट्रपति द्वारा ध्वाजारोहण के वक्त उनके ये विशेष घुड़सवार अंगरक्षक समेत वहां मौजूद सभी लोग सावधान की मुद्रा में खड़े होकर तिरंगे को सलामी देते हैं और इसी के साथ राष्ट्रगान की शुरूआत होती है।
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10. राष्ट्रगान के दौरान 21 तोपों की सलामी दी जाती है। 21 तोपों की ये सलामी राष्ट्रगान की शुरूआत से शुरू होती है और 52 सेकेंड के राष्ट्रगान के खत्म होने के साथ पूरी हो जाती है।
11. 21 तोपों की सलामी वास्तव में भारतीय सेना की 7 तोपों द्वारा दी जाती है, जिन्हें पौन्डर्स कहा जाता है। प्रत्येक तोप से तीन राउंड फायरिंग होती है। ये तोपें 1941 में बनी थीं और सेना के सभी औपचारिक कार्यक्रमों में इन्हें शामिल करने की परंपरा है।
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12. गणतंत्र दिवस की परेड सुबह करीब नौ बजे ध्वाजारोहण के बाद शुरू होती है, लेकिन परेड में शामिल सभी सैनिक, अर्धसैनिक बल और एनसीसी व स्काउट जैसे विशेष दल सुबह करीब तीन-चार बजे ही राजपथ पर पहुंच जाते हैं।
13. 26 जनवरी की परेड में शामिल होने से पहले सभी दल तकरीबन 600 घंटे तक अभ्यास कर चुके होते हैं। परेड में शामिल सभी दल करीब सात माह पहले, जुलाई से ही तैयारी में जुट जाते हैं।
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14. परेड में शामिल सभी दल नवंबर तक अपनी रेजिमेंट में अलग-अलग अभ्यास करते हैं। दिसंबर से ये सभी दल संयुक्त परेड का अभ्यास करने के लिए दिल्ली पहुंच जाते हैं।
15. परेड में शक्ति प्रदर्शन के लिए शामिल होने वाले टैंकों, हथियार, बख्तरबंद गाड़ियों और अन्य अत्याधुनिक उपकरणों आदि के लिए इंडिया गेट परिसर में एक विशेष शिविर बनाया जाता है।
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16. इन सभी टैंकों, हथियार, बख्तरबंद गाड़ियों और अन्य अत्याधुनिक उपकरणों की जांच और रंग-रोगन आदि का कार्य 10 चरण में पूरा किया जाता है।
17. 26 जनवरी से पहले फुल ड्रेस रिहर्सल और समारोह के दौरान होने वाली परेड राजपथ से लाल किले तक मार्च करते हुए जाती है। रिहर्सल के दौरान परेड 12 किमी का सफर तय करती हैं, जबकि गणतंत्र दिवस की परेड के दौरान 9 किमी की दूरी तय करती हैं।
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18. सर्वश्रेष्ठ परेड की ट्रॉफी देने के लिए पूरे रास्ते में कई जगहों पर जजों को बिठाया जाता है। ये जज प्रत्येक दल को 200 मापदंडों पर नंबर देते हैं। इसके आधार पर सर्वश्रेष्ठ मार्चिंग दल का चुनाव होता है। किसी भी दल के लिए इस ट्रॉफी को जीतना बड़े गौरव की बात होती है।
19. परेड में शामिल होने वाले प्रत्येक जवान को चार स्तर की सुरक्षा जांच से गुजरना पड़ता है। उनके हथियारों की भी कई चरणों में गहन जांच होती है। जांच का मुख्य उद्देश्य ये सुनिश्चित करना होता है कि किसी जवान के हथियार में कोई जिंदा कारतूस न हो। इससे बहुत बड़ी अनहोनी हो सकती है।
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20. परेड में भाग लेने वाले सेना के जवान भारत में बनी इंसास (INSAS) राइफल लेकर चलते हैं। विशेष सुरक्षा बल के जवान इजरायल में बनी तवोर (TAVOR) राइफल लेकर चलते हैं।
21. परेड में शामिल सभी झांकियां 5 किमी प्रति घंटा की नीयत रफ्तार से चलती हैं, ताकि उनके बीच उचित दूरी बनी रहे और लोग आसानी से उन्हें देख सकें। इन झांकियों के चालक एक छोटी से खिड़की से ही आगे का रास्ता देखते हैं, क्योंकि सामने का लगभग पूरा शीशा सजावट से ढका रहता है।
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22. इस बार की परेड में कुल 22 झांकियां शामिल हो रही हैं। इनमें से 16 झांकियां राज्यों की और 6 झांकियां विभिन्न मंत्रालयों व विभागों की होगी। हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, राजस्थान इत्यादि राज्यों की झांकी अबकी बार परेड में नहीं होगी। खास बात यह कि इस साल सभी झांकियों की थीम एक ही रहेगी- राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती।
23. राजपथ पर मार्च पास्ट खत्म होने का बाद परेड का सबसे रोचक हिस्सा शुरू होता है, जिसे ‘फ्लाई पास्ट’ कहते हैं। इसकी जिम्मेदारी वायु सेना की पश्चिमी कमान के पास होती है।
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24. ‘फ्लाई पास्ट’ में 41 फाइटर प्लेन और हेलिकॉप्टर शामिल होते हैं, जो वायुसेना के अलग-अलग केंद्रों से उड़ान भरते हैं। इनका तालमेल इतना सटीक होता है कि ये तय समय और क्रम में ही राजपथ पर पहुंचते हैं। आकाश में इनकी कलाबाजी और रंग-बिरेंगे धुएं से बनाई गई आकृतियां लोगों का मन मोह लेती हैं।
25. भारत सरकार ने वर्ष 2001 में गणतंत्र दिवस समारोह पर करीब 145 करोड़ रुपये खर्च किए थे। वर्ष 2014 में ये खर्च बढ़कर 320 करोड़ रुपये पहुंच गया था। मतलब 2001 से 2014 के बीच 26 जनवरी समारोह के आयोजन में लगभग 54.51 फीसद की दर से खर्च में इजाफा हुआ है।
26. गणतंत्र दिवस आयोजन की जिम्मेदारी रक्षा मंत्रालय की होती है। आयोजन में लगभग 70 अन्य विभाग व संगठन रक्षा मंत्रालय की मदद करते हैं। परेड के सुचारू संचालन के लिए सेना के हजारों जवान समेत अलग-अलग विभागों के भी काफी संख्या में लोग लगाए जाते हैं।