डीजे संचालकों के सामने रोजी-रोटी का संकट
महराजगंज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ध्वनि प्रदूषण को लेकर बड़ा फैसला सुनाते हुए समूचे उत्तर प्रदेश में डीजे बजाने पर पाबंदी लगा दी है। अदालत ने सूबे में जिलाधिकारियों व मजिस्ट्रेटों द्वारा डीजे बजाने की मंजूरी दिए जाने पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है और यूपी सरकार से इस पर सख्ती से अमल करने को कहा है। इतना ही नहीं अदालत ने सख्त रवैया अपनाते हुए सरकार से डीजे बजाने वालों पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाने व पांच साल तक की कैद की सजा का नियम बनाने का भी आदेश दिया है। अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि डीजे बजने पर संबंधित थाना प्रभारियों की जवाबदेही होगी। सरकार के नए आदेश पर डीजे संचालकों के सामने रोजी-रोटी का संकट उत्पन्न हो गया। वहीं लाखों की लागत पानी-पानी हो गई। प्रस्तुत है डीजे संचालक आदित्य त्रिपाठी, संजय शर्मा, राजा गुप्ता, सलीम मुकेश, कमरुद्दीन, अवधेश जायसवाल आदि से’जागरण’से बातचीत के प्रमुख
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सुंदर त्रिपाठी ने बताया कि हाईकोर्ट के आदेश पर परिवार काफी चिहित हैं । बच्चों की पढ़ाई, बहनों की शादी तथा रोजी-रोटी की समस्या उत्पन्न हो गई है। कर्ज लेकर दुकान खोली थी। ऐसे में कैसे कर्ज कैसे दिया जाएगा।
अमर अग्रहरि ने कहा कि तीन लोगों से उधार लेकर करीब आठ लाख की लागत से डीजे की दुकान संचालित किया। अब दूसरा कार्य कैसे शुरू किया जाए। लागत तो इसमें फंसी हुई है। सरकार का आदेश परिवार में बीबी बच्चों के खर्चे कैसे पूरे होंगे चिता में डूबा हुआ है।
दीपक अग्रहरि ने बताया कि 12 लाख की लागत लगाकर दर्जनों मशीन खरीदकर डीजे साउंड की दुकान खोली गई थी। इस दुकान से हमारे परिवार सहित 10 स्टाफों की भी रोजी-रोटी जुड़ी हुई है। अब वो भी बेरोजगार हो गए हैं।
सूरज श्रीवास्तव ने बताया कि प्रशासन से आदेश लेने पर डीजे मानक के अनरूप बजेगा। ग्राहक थाने जाना नहीं चाहते। वह कहते हैं कि थाना का कौन चक्कर लगाएगा। इसलिए थोड़ी बहुत बुकिग भी होती थी वो भी बंद हो गई।
उपजिलाधिकारी जसधीर सिंह ने बताया कि कोर्ट के आदेश का हर हाल में पालन कराया जाएगा। आदेश की अवहेलना करने वालों के खिलाफ ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण कानून के तहत एफआइआऱ दर्ज कराई जाएगी।
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