कोलंबिया में इन दिनों अनोखा प्रयोग हो रहा है। कोलंबिया के मेडलिन शहर की गलियों में वैज्ञानिक डिजाइनर मच्छरों को जगह-जगह छोड़ रहे हैं।
कोलंबिया में इन दिनों अनोखा प्रयोग हो रहा है। कोलंबिया के मेडलिन शहर की गलियों में वैज्ञानिक डिजाइनर मच्छरों को जगह-जगह छोड़ रहे हैं। वैज्ञानिक चाहते हैं कि ये खास मच्छर इंसानों को खूब काटें और फलें फूलें ताकि दुनिया भर में 50 करोड़ लोगों को डेंगू का शिकार होने से बचाया जा सके। कोलंबिया में इस प्रयोग पर काम करने वाले वैज्ञानिकों का कहना है कि वे अब मच्छरों को मारने की जगह इन्हें (खास मच्छरों को) बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। डेंगू फैले नहीं इसके लिए जरूरी है कि इसे फैलाने वाले मच्छर न रहें… सनद रहे कि दुनिया के 110 देशों में डेंगू हर साल हजारों लोगों की जान ले रहा है।
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ऐसे मर जाएंगे डेंगू फैलाने वाले मच्छर
मेडलिन शहर में इस प्रयोग पर काम करने वाले लोग अपनी कार को हर 50 मीटर पर रोकते हैं और खास तौर पर डिजाइन किए गए मच्छरों को छोड़ देते हैं। वैज्ञानिकों की मानें तो इन डिजाइनर मच्छरों को खास तरीके से तैयार किया गया है। हर मच्छर में वोल्बासिया नाम के बैक्टरीरिया को इंजेक्ट कराया गया है। यह बैक्टीरिया पर्यावरण में डेंगू मच्छरों को फैलने से रोकता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि डिजाइनर मच्छर जब लोगों को काटेंगे तो उनसे वोल्बासिया नाम का बैक्टीरिया लोगों के खून में पहुंचेगा। यह बैक्टीरिया जैसे ही डेंगू फैलाने वाले मच्छर में पहुंचेगा वे मर जाएंगे।
इन बीमारियों की रोकथाम पर भी हो रहा काम
हालांकि, इस प्रोजेक्ट पर काम कर रहे लोगों का कहना है कि मेडलिन शहर की आबादी करीब 25 लाख है जिसकी तुलना में डिजाइनर मच्छर कम पड़ रहे हैं। लोगों को इस प्रोजेक्ट के बारे में जागरूक करने के लिए बच्चों को लगाया गया है। ये बच्चे लोगों को बता रहे हैं कि डिजाइनर मच्छरों के काटने से कोई उन्हें कोई बीमारी नहीं होगी। वैज्ञानिकों की मानें तो खास डिजाइनर मच्छर चार से पांच दिन में अंडे देते हैं और दो से तीन दिनों में उड़कर इंसानों का खून चूसने के लिए तैयार हो जाते हैं। इसके साथ ही वैज्ञानिक ऐसे बैक्टीरिया वाले मच्छरों की ब्रीडिंग पर भी काम कर रहे हैं जो न केवल डेंगू बल्कि जीका, चिकनगुनिया और येलो फीवर को भी फैलने से रोक सकेंगे।
श्रीलंका ने यूं पाई मलेरिया पर विजय
डेंगू, चिकनगुनिया, मलेरिया और येलो फीवर को फैलने से रोकने के लिए भारत को श्रीलंका जैसे छोटे से देश से सीखने की जरूरत है। श्रीलंका ने मलेरिया से मुक्ति पा ली है, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) श्रीलंका को मलेरिया मुक्त घोषित कर चुका है। डब्लूएचओ के मुताबिक, श्रीलंका ने मलेरिया से छुटकारा पाने के लिए कई मोर्चों पर काम किया। उसने मच्छरों की रोकथाम के साथ ही संक्रमण वाले परजीवियों का फैलाव रोकने पर भी काम किया। अत्यधिक संक्रमण वाले इलाकों में मोबाइल मलेरिया क्लीनिक्स बनाए ताकि परजीवी के विस्तार को रोका जा सके। बता दें कि भारत में मलेरिया समेत अन्य मच्छरजनित बीमारियां हर साल 10 लाख से ज्यादा लोगों को अपना शिकार बनाती हैं। इससे देश को हर साल करीब 13 हजार करोड़ रुपये का नुकसान होता है।
चीन ने इस तकनीक के जरिए किया मच्छरों का खत्मा
बीमारी फैलाने वाले मच्छरों के सफाये की दिशा में चीन ने बड़ी उपलब्धि हासिल की है। चीन ने अपने दो द्वीपों से मच्छरों का लगभग पूरी तरह सफाया कर दिया है। चीन के वैज्ञानिकों ने दक्षिणी चीन के गुआंगझाओ में दो द्वीपों पर एक प्रयोग के जरिए मादा एशियन टाइगर मच्छर की प्रजाति का 99 फीसदी सफाया कर दिया। इसके लिए एसआईटी यानी स्टेराइल इंसेक्ट तकनीक नाम की एक तकनीक इस्तेमाल की गई। इसमें वैज्ञानिकों ने रेडिएशन का इस्तेमाल किया और मच्छरों को नपुंसक बना दिया। इस प्रक्रिया को पूरे दो साल लगे और धीरे-धीरे मच्छरों का सफाया हो गया। यहां बता देना जरूरी है कि मालदीव मलेरिया मुक्त घोषित हो चुका है। वहीं पूरे यूरोपिय क्षेत्र को भी मलेरिया मुक्त घोषित किया जा चुका है।
Source :- www.jagran.com